अमृतसर(द स्टैलर न्यूज़)। पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि मोरिंडा बेअदबी कांड के आरोपी जसबीर सिंह की जब संगतों ने पिटाई की, उसके बाद पुलिस ने उसे चार दिन के रिमांड पर लिया। होना तो यह चाहिए था कि पहले उसका इलाज करवाते, लेकिन पिटाई के बाद रिमांड और रिमांड के बाद जेल शायद कानून और पुलिस प्रशासन इतना डर चुका था कि उन्होंने जसबीर सिंह को अस्पताल में रखकर इलाज करवाने का कोई प्रबंध ही नहीं किया। मानसा जेल में उसकी मौत हो गई और इसके लिए सभी खामोश हैं। सरकार भी, मानव अधिकारी, सरकारी और गैर सरकारी दोनों ही।
उसकी मौत के बाद जो व्यवहार किया जा रहा है और उसके आगे सरकार ने घुटने टेक दिए हैं वह निंदाजनक है। पहले तो पंजाब पुलिस यह बताए कि जसबीर सिंह ने रिमांड के दौरान क्या जानकारी दी। किसके कहने पर उसने अपराध किया, क्यों किया और जिन लोगों ने उसे पीटा और उसकी मौत का कारण बने क्या उनके विरुद्ध भी कोई कार्यवाही की जाएगी। सवाल पंजाब के मानवाधिकार आयोग से है कि कानून की दृष्टि में एक आरोपी को क्या इस तरह मार दिया जाता है? जिस अपराध या आरोप के कारण जसबीर सिंह को रिमांड पर रखा गया, सरकार को यह बताना ही पड़ेगा कि रिमांड में क्या क्या जानकारी सरकार ने दी। उत्तर यह भी देना पड़ेगा कि उसका इलाज क्यों नहीं करवाया गया? उसकी मौत की जिम्मेवारी किसकी है? अब उसकी मौत के बाद जो तानाशाही आदेश प्रशासन को मिला और प्रशासन ने घुटने टेक दिए क्या वह स्वतंत्र और लोकतंत्र देश के लिए उचित है?