कार्निया ट्रांसप्लांटेशन का डाक्टरी खर्च बंद करके सरकार ने पीडि़तों और एनजीओज़ के साथ किया अन्याय: संजीव अरोड़ा/जेबी बहल

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़) । नैशनल प्रोग्राम फार कंट्रोल आफ ब्लाइंडनैस एडं इम्पेयरमैंट के तहत प्रदेश प्रोग्राम अधिकारी द्वारा एक पत्र जारी किया गया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि कार्निया ट्रांसप्लांटेशन दौरान डाक्टरी खर्च जो सरकार द्वारा दिया जाता था, आगे से नहीं दिया जाएगा व सरकार ने इस पर रोक लगा दी है। इस पत्र संबंधी रोटरी आई बैंक एवं कार्निया ट्रांसप्लांटेशन सोसायटी की बैठक प्रधान व प्रमुख समाज सेवी संजीव अरोड़ा की अध्यक्षता में हुई। इस मौके पर सोसायटी पदाधिकारियों ने सरकार के इस पत्र पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार के इस फैसले से नेत्रहीनता को दूर करने में सहयोग प्रदान कर रहीं संस्थाओं को ठेस पहुंची है तथा सरकार का खुद का मिशन बुरी तरह से प्रभावित होगा।

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इस अवसर पर संजीव अरोड़ा ने कहा कि कार्निया ब्लाइंडनैस को दूर करने के लिए प्रदेश की कई संस्थाएं काम कर रही हैं और सभी के सहयोग से हजारों लोग आज रोशनी पा चुके हैं। उन्होंने कहा कि बिना किसी सरकारी मदद के काम कर रही संस्थाओं को सहयोग करने की बजाए दी जा रही सहूलत को वापिस लेना किसी भी सूरत में तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि कार्निया का सारा खर्च संस्थाएं करती हैं, जबकि सरकार द्वारा आप्रेशन का खर्च डाक्टर को दिया जाता है, जो आगे से नहीं दिया जाएगा। अरोड़ा ने सरकार से अपील की कि इस फैसले पर पुन: विचार किया जाए ताकि यह मिशन प्रभावित न हो। अरोड़ा ने बताया कि एक तरफ सरकार अंधेपन को दूर करना चाहती है तो दूसरी तरफ से इस प्रकार के फैसले लेकर खुद ही मिशन को प्रभावित करने में लगी हुई है। उन्होंने नेत्रहीनता को खत्म करने में जुटी अन्य संस्थाओं से भी अपील की कि वह भी इस बारे में आवाज उठाएं।

इस मौके पर विशेष तौर से पहुंचे चेयरमैन जेबी बहल ने बताया कि इससे पहले सरकार एवं मंत्रालयों से जितनी भी बैठकें हुई हैं, उनमें सभी ने मिशन में तेजी लाने एवं हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन दिया था। मगर, दुख की बात है कि पंजाब सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रदेश के तमाम सिविल सर्जनों को पत्र जारी करके डाक्टरी खर्च न दिए जाने संबंधी निर्देश जारी किए गए हैं। नेत्रहीनता को खत्म करने के लिए संस्थाएं निस्वार्थ भाव से कार्य कर रही हैं तथा यह पत्र कार्निया ब्लाइंडनैस पीडि़तों, एनजीओज़ तथा प्राइवेट प्रैक्टिशनरज़ के साथ अन्याय ही नहीं बल्कि एक क्रूर खिलाड़ भी है। इसलिए सरकार को इस फैसले को तुरंत प्रभाव से वापिस लेना चाहिए ताकि मिशन से जुड़ी संस्थाओं एवं डाक्टरों का उत्साह बना रहे। इस मौके पर सचिव प्रिं. डीके शर्मा, कुलदीप राय गुप्ता, मनद लाल महाजन, राजिंदर मोदगिल एवं तरसेम मोदगिल आदि मौजूद थे।

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