सावधान: वन संपदा और वन भूमि पर धार्मिक भू-माफिया की नजऱ

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होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। “द स्टैलर न्यूज़” की तरफ से कुछ समय पहले सडक़ों किनारे बनने वाली मसीतों व दरगाहों के बढ़ते-फूलते कारोबार के बारे में जागरुक किया गया था कि किस प्रकार एक सोची समझी साजिश के तहत धर्म की आड़ लेकर लोग सडक़ों के किनारों पर कब्जा करने हेतू पहले एक दिया जलाते हैं और फिर देखते ही देखते वहां पर ईंट, पत्थर, सरिया और सीमेंट आदि पहुंच जाता है तथा एक दिन वहां पर बिना छत के ही दरगाह के रुप में एक मसीत तैयार कर दी जाती है तथा देखते ही देखते अंधविश्वासी लोगों का साथ मिलने से वह स्थान लोगों की असीम आस्था का केन्द्र बन जाता है और सडक़ किनारे 2-4 फीट से शुरु हुआ खेल कनालों में बदल जाता है। जब भी सरकार या प्रशासन द्वारा अवैध कब्जों को हटाए जाने की बात आती है तो धर्म की आड़ लेकर लोग कब्जा छोडऩे से मना कर देते हैं तथा सोची समझी साजिश के तहत उसे राजनीतिक रंगत देकर धरना प्रदर्शन और न जाने क्या-क्या हो जाता है। जबकि नियमानुसार होना तो यह चाहिए कि ऐसे किसी भी धार्मिक स्थान को मान्यता नहीं दी जानी चाहिए जिसकी नींव अवैध कब्जे पर रखी गई है, भले ही वह किसी भी धर्म से संबंधित क्यों न हो।

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एक तरफ जहां शरारती लोग मसीतों व दरगाहों को आड़ बनाकर लोगों व सरकार की जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं वहीं धर्म की आड़ में कई लोगों द्वारा जंगलों में शरण लेकर वन संपदा को न केवल हानि पहुंचाई जा रही है बल्कि नियमों को ताक पर रखकर व बड़ी संख्या में पेड़ काटकर बड़े-बड़े मंदिरों का निर्माण कर दिया गया है। आलम यह है कि ग्राम पंचायत द्वारा एतराज जताए जाने के बावजूद वे लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। और तो और एक कमरे से शुरु हुई आस्था आज एकड़ों में फैल चुकी है तथा अंध श्रद्धा में वहां पहुंचने वाले लोग हानि लाभ को भूल अंधी भक्ति में जाने अंजाने वन संपदा को नष्ट करने पर तुले हुए हैं।

गांव निवासी या कोई और व्यक्ति वन से एक पेड़ काट ले तो वन विभाग और प्रशासन में हाय तौबा मच जाती है और उस व्यक्ति को खोज कर उसके खिलाफ न जाने किन-किन धाराओं के तहत मामला दर्ज कर उसे सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है। परन्तु धार्मिक स्थान की आड़ में किए जा रहे कब्जों पर विभाग की चुप्पी कई सवालों को जन्म देने के लिए काफी है। अगर विभाग समय रहते सख्त कार्रवाई करता तो जंगल में मंगल और धर्म के नाम पर लगने वाले मेलों के कारण वन संपदा को बचाया जा सकता था। आलम यह है कि आज होशियारपुर क्षेत्र में पड़ते जंगल में कई ऐसे धार्मिक स्थान विकसित हो चुके हैं कि अगर विभाग उन पर कार्रवाई करे तो जंगल के भविष्य को बचाया जा सकता है। अन्यथा होशियारपुर जिसे शिवालिक की पहाडिय़ों में बसा शांत और शुद्ध जिला कहा जाता है की हवा पूरी तरह से दूषित हो जाएगी और ऐसे हालातों में केवल पुस्तकों में ही पहाड़ों और वन संपदा की मदक पढऩे को मिलेगी।

Narula Lehnga House Hoshiarpur

“द स्टैलर न्यूज़” द्वारा इस लेख में आपको एक संकेत दिया गया है कि होशियारपुर का वन क्षेत्र जहां माइनिंग माफिया और भू-माफिया के हाथों असुरक्षित हो चुका है वहीं धर्म की आड़ लेकर सक्रिय हुए इस नए भू-माफिया पर अगर समय रहते नकेल न डाली गई तो भविष्य में इसके परिणाम बहुत घातक हो सकते हैं।

इसी कड़ी के अगले अंक में हम आपको बताएंगे कि होशियारपुर-चिंतपूर्णी मार्ग पर पड़ते एक गांव में किसी प्रकार एक व्यक्ति को सपना आया और फिर उसके बाद एक-एक करके किस प्रकार वन संपदा पर नाजायज कब्जा हुआ और आज वहां पर बना एक धार्मिक स्थान किसी प्रकार एक सोची-समझी मार्किटंग विद्या के द्वारा आस्था का केन्द्र बना और आज एक कमरे से शुरु हुआ स्थान किस प्रकार एकड़ों में बदल चुका है और वह भी पूरी तरह से नाजायज तौर पर।

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