हसदेव अरण्य जंगल को अगर काटा गया तो हाथी और अन्य जानवरों का बसेरा उजड़ जाएगाः विश्नोई

रूपनगर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्टः ध्रुव नारंग । हसदेव अरण्य (जंगल) को बचाने की मांग को लेकर पंजाब के पर्यावरण प्रेमी अनुराग विश्नोई ने विरोध जताते हुए कहा की 17 मई 2022 को राष्ट्रीय जंगल एव प्रकृति बचाओ अभियान भारत और जन कल्याण भूमि मुक्ति फाउंडेशन दिल्ली के नेतृत्व में जंतर मंतर पर हसदेव अरण्य जंगल, छत्तीसगढ़ को बचाने के लिए धरना प्रदर्शन किया था जिसमे लगभग 18 राज्यों से पर्यावरण योद्धा आए थे और वहा से महामहिम राष्ट्रपति जी, प्रधानमंत्री जी, पर्यावरण मंत्रालय, छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री,जो ज्ञापन भी दिया गया था,अनुराग विश्नोई ने कहा कि हसदेव जंगल को खनन के लिए खोलने का फैसला पूरी तरह से गलत है। यह फैसला पर्यावरण और स्थानीय लोगों, आदिवासी समुदाय के साथ पूरी मानव जाति के लिए विनाशकारी होगा।हसदेव जंगल की क्राउन डेन्सिटी 50% से भी अधिक है इसलिए यह भारत के सबसे महत्वपूर्ण वन क्षेत्रों में से एक हैं। इन जंगलों में विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों का निवास है, जिनमें तेंदुए, हाथी, बाघ, और अन्य महत्वपूर्ण प्रजातियां शामिल हैं जिसमें से 18 प्रजाति संकटग्रस्त व सुभेदय हैं। इन जंगलों का जलवायु को नियंत्रित करने, प्रदूषण रोकने और बाढ़ को रोकने में भी महत्वपूर्ण योगदान है।
हसदेव अरण्य में कोयला खनन की अनुमति से इन जंगलों को भारी नुकसान होगा। इससे वन्यजीवों का आवास नष्ट हो जाएगा और जलवायु परिवर्तन की समस्या और अधिक गंभीर हो जाएगी। इसके अलावा, खनन से लगभग 300 वर्षों से रह रहे परिवार की संस्कृति नष्ट हो जाएगी व स्थानीय लोगों के जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।बता दें कि अनुराग विश्नोई पहले भी मध्य प्रदेश के छतरपुर के बक्सवाहा जंगल को बचाने के लिए भी कार्य कर चुके है वहा भी लगभग 3 लाख पेड़ काटे जाने थे विश्नोई ने बताया कि बक्सवाहा जंगल बचाओ अभियान सफल होने के बाद राष्ट्रीय जंगल एव प्रकृति बचाओ अभियान भारत संगठन बनाकर अलग अलग राज्य के पर्यावरण प्रेमी को एक प्लेटफार्म पर लाकर पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने की अपील की,विश्नोई ने कहा कि वह हसदेव अरण्य को बचाने के लिए लगातार संघर्ष करेंगे।

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उन्होंने सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की, बता दें कि हसदेव के जंगलों का क्षेत्रफल लगभग 1800 वर्ग किलोमीटर है। इन जंगलों में लगभग 200 से अधिक प्रजातियों के वन्यजीव पाए जाते हैं।हसदेव के जंगलों में कई लाख लोग रहते हैं। विश्नोई ने कहा कि हसदेव अरण्य (जंगल) हमारी धरोहर हैं। इन जंगलों को बचाना हमारी जिम्मेदारी है। हम सभी को मिलकर इन जंगलों को बचाने के लिए संघर्ष करना चाहिए।जंगल बचाने की इस लड़ाई में हम छतीसगढ़ के लोगो की आवाज बनेंगे ,जिस तरह हमने साल 2022 में हसदेव अरण्य जंगलों को बचाने के लिए जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन किया था, इस तरह अगर सरकार इस निर्णय को नहीं बदलेगी तो संगठन और अलग-अलग राज्यों के पर्यावरण प्रेमी फिर दोबारा हसदेव अरण्य बनाने जंगल को बचाने के लिए अपनी आवाज बुलंद करेंगे,क्युकी जंगल बचेंगे तो जीवन बचेगा।

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