कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़), गौरव मढ़िया। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान कपूरथला आश्रम में सप्ताहिक सतसंग कार्यक्रम किया गया। जिसमें श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्या साध्वी ऋतु जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि गुरु की महिमा अपरंपार है। गुरु की महिमा में जो भी लिखा जाए वह कम ही है। गुरु का स्थान बहुत महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि गुरु निरगुण ब्रह्म हैं और इस निरगुण ब्रह्म के अभौतिक तत्व का व्यक्ति के रूप में प्रकटीकरण है। इसलिए इसे सगुण ब्रह्म भी कहा जाता है। उसमें “सत्यम-शिवम्-सुंदरम” जैसे गुण विद्यमान होते हैं। यह सारा विश्व सत्व, रज, तम की क्रियाओं से संचालित होता है।
पर गुरु जोकि सगुण ब्रह्म है यद्यपि वह भी इन तीनों गुणों से युक्त होते हैं तो भी वह अपनी दिव्य शक्ति से उन गुणों को नियंत्रण में रखता है। उन्होंने कहा कि मोक्ष का मार्ग सगुण ब्रह्म यानि सतगुरु प्रदत्त “ब्रह्म-विद्या” से शुरू होता है। फिर उसके दिखाए मार्ग पर पूरी निष्ठा के साथ चलने पर व्यक्ति अपने संसारिक बंधनों को काटने में समर्थ होता है। माया के बंधन में फंसे जीव के द्वारा सगुण ब्रह्म की पूजा भक्ति को ही परम या मुख्य आराधक के रुप में अमल करना चाहिए। क्योंकि उसकी चेतना में कोई विरोधाभास नहीं होता।
हमें पूर्ण गुरु की पहचान होनी चाहिए, हमें जानकारी होनी चाहिए कि ऐसे महान गुरु की क्या कसौटी होनी चाहिए। सच्चा गुरु वो होता है, जिसने इश्वर के हर पहलू को जाना है, अर्थात जिसने इश्वर का साक्षात्कार किया है और हमें भी इश्वर का साक्षात्कार करवा सकता है। और ऐसे गुरु सम्पूर्ण मानव जाति को ब्रह्म ज्ञान से दीक्षित कर सकते हैं। उस ज्योति रूप इश्वर का हमें हमारे अन्दर ही दर्शन करवाते हैं। इसके साथ ही साध्वी हरिप्रीता भारती जी द्वारा भक्ति भावपूर्ण मधुर भजनों का गायन किया गया