होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। योग साधनआश्रम मॉडल टाउन में धार्मिक सभा के दौरान प्रवचन करते हुए मुख्य आचार्य चंद्र मोहन जी ने कहा कि योग की सभी धाराएं हमें भगवान के करीब लाती हैं| जलनेति, वमन आदि से हम अपने शरीर को ठीक रख सकते हैं तो योग की दूसरी धारा सच्चाई ,सादगी का जीवन व्यतीत करने की तरफ लेकर जाती है| इसके अतिरिक्त तीसरी धारा भक्ति की है | गीता, रामायण पढ़ें तो पता लगता है की भक्ति के कई तरीके हैं |
भक्ति का मार्ग संकुचित नहीं है | भगवान कहते हैं कि भक्ति किसी भी तरीके से करो फल तो उन्होंने ही देना है | भक्ति किसी नगर अथवा विधि से करो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता | अगर हम इस बात को समझ लें तो जीवन सफल हो सकता है | योग भक्ति के भेदभाव को मिटाता है | योग दर्शन तथा गीता में भक्ति की कई विधियां बताई गई है | मन को भगवान में लगाना है | इसे किसी भी तरीके से लगाओ | योग दर्शन में इसका आसान तरीका ईश्वर प्रणिधान बताया गया है अर्थात ईश्वर की शरण में चले जाओ | प्रभु के नाम का जाप किया करो, भक्ति स्वत: ही हो जाएगी | भगवान के कई नाम हैं | अपनी इच्छा अनुसार हम भगवान के नाम का सिमरन कर सकते हैं | शास्त्रों में भगवान का नाम ओम एक अक्षर को बताया गया है | इसका जाप करो | भगवान का नाम लेते समय उनका स्वरूप भी याद आना चाहिए |
भगवान कहते हैं कि जो ऐसा करते समय शरीर को छोड़कर चला जाता है उसको मुक्ति मिल जाती है | योग दर्शन कहता है कि भगवान को याद करते रहो तुम्हें भगवान के दर्शन हो जाएंगे | इससे सांसारिक लाभ भी होगा | जीवन में आने वाली कठिनाइयां दूर हो जाएगी |संसार में एक दवाई एक ही रोग को ठीक करती है |लेकिन भगवान का सिमरन सभी प्रकार की बीमारियों का इलाज है | इससे सब संशय दूर हो जाएंगे | भगवान हमें बिना आंखों के देखते हैं, बिना कानों के सुनते हैं, बिना त्वचा के स्पर्श करते हैं |भगवान के पास इतना ज्ञान है कि आप इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते |अगर हम भगवान को याद करेंगे तो संसार का मोह भी दूर हो जाएगा | लेकिन हम आडंबरों के पीछे लगकर जीवन को बर्बाद कर देते हैं | कभी किसी जगह पर जाकर मन्नत मांगते हैं तो कभी किसी जगह पर जाकर | हमारा चित स्थिर नहीं है | यह भटकता रहता है |इसको भगवान के चरणों में लगाने से ही हमारा जीवन सफल हो सकता है| फोटो कैप्शन: प्रवचन करते मुख्य आचार्य मोहन जी |