निगम के एक अधिकारी ने बिगाड़ा “आप” का ग्राफ, डा. राज के लिए हो सकता है “हानिकारक”

Employee and boss meeting sitting opposite at desk holding hands in raised steeple gesture. Job interview between CEO and candidate. Flat style modern vector illustration isolated on white background.

पिछले कुछ दिनों से नगर निगम के दो अधिकारी खासे चर्चा में हैं। एक है बड़ा अधिकारी तो दूसरा है उससे छोटा अधिकारी। एक अधिकारी को जहां पत्रकारों एवं जनता से दूरी बनाए रखने में मजा आता है तो दूसरे को काम में देरी करके लोगों को परेशान करने में। आलम यह है कि लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और एेसे में इन अधिकारियों की मनमर्जी के चलते जहां “आप” के ग्राफ की स्थिति बिगड़ती जा रही है वहीं आप उम्मीदवार “डा. राज” के लिए भी यह हानिकारक हो सकता है। इतिहास के पन्ने फरोल लिए जाएं तो पिछली सरकारों के समय में नगर निगम के अधिकारियों की षड्यंत्रयुक्त कार्यप्रणाली के चलते सत्तापक्षा के उम्मीदवार को हानि ही उठानी पड़ी थी। क्योंकि, नगर निगम का शहर निवासियों के साथ डायरैक्टर कनैक्शन होता है और लोग छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण समस्या के हल के लिए निगम पर निर्भर रहते हैं। जैसे पानी, सीवरेज, सफाई एवं गलियों व नालियों की समस्या।

Advertisements

लालाजी स्टैलर की चुटकी

इसके अलावा लोगों को प्रशासन के साथ कम ही काम पड़ते हैं। इसलिए निगम में अधिकारियों की कार्यप्रणाली का दुरुस्त होना लाज़मी हो जाता है। कैबिनेट मंत्री ब्रह्मशंकर जिम्पा के गृह जिले में पड़ते नगर निगम का यह हाल है तो बाकी में क्या होता होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। आपको बता दें कि नगर निगम में समस्त ब्रांचों में अगर बदनाम ब्रांच की बात की जाए तो वह बिल्डिंग ब्रांच की चर्चा रही है। क्योंकि, लोगों का मत है कि यहां पर काम समय पर नहीं होता और किसी न किसी तरह का नुक्ता निकालकर लोगों को परेशान किया जाता है। पर कुछ समय से होशियारपुर के नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच का कार्य काफी हद तक पारदर्शी हुआ है और लोगों की परेशानियां भी कम हुई हैं। छोटे अधिकारी भले ही समय पर काम करके लोगों को संतुष्ट कर रहे हों, लेकिन निगम का एक बड़ा अधिकारी न जाने क्यों लोगों को परेशान करके आम आदमी पार्टी के प्रति लोगों का रोष बढ़ाने का काम कर रहा है।

क्योंकि काम अधिकारी नहीं कर रहा तो स्वभाविक सी बात है कि लोग भगवंत मान को ही कोसेंगे। अगर कोई घरेलू या व्यवसायिक नक्शा पास करवाने हेतु जमा करवाता है तो नियम के अनुसार एक माह के भीतर उसे पास करके अपलोड करना होता है। लेकिन यहां तो आलम यह है कि सारी औपचारिकताएं पूरी होने के बावजूद भी नक्शा समय पर पास किया जाना जरुरी नहीं समझा जा रहा तथा जानबूझकर लोगों को परेशान करने हेतु या फिर कुछ और इच्छा से नक्शे समय पर अपलोड न होने के चलते आम शहरी को मानसिक एवं आर्थिक दोनों रुप से परेशान होना पड़ रहा है। आदर्श चुनाव आचार संहिता के लागू होने के बावजूद अधिकारी का अपने गृह टाउन में कार्यरत रहना पहले ही चर्चा का विषय बना हुआ है और ऊपर से बड़े व छोटे अधिकारी के रवैये सही न होने के चलते की सवाल जन्म ले रहे हैं।

सूत्रों की माने तो मंत्री जी के खासमखास अधिकारियों में शूमार उक्त अधिकारी को बड़ी सिफारिशों के आगे नियमों के विपरीत बनाई गई इमारतें तो नहीं दिखती, लेकिन अगर कोई बिना सिफारिश वाला थोड़ी सी भी नियम की अवहेलना कर दे तो अधिकारी का पारा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है और वह उसे सील करने और गिरवाने जैसी चेतावनी भी दे डालते हैं। कहा जा सकता है कि सिफारिशों के सहारे चल रही नगर निगम की कार्यप्रणाली से जहां आप सरकार के ईमानदार प्रशासन के दावों पर धब्बा लग रहा है वहीं शहर निवासियों में भी आप एवं मंत्री जिम्पा के प्रति रोष बढ़ रहा है। जिसका सीधा प्रभाव आने वाले लोकसभा चुनान में आप प्रत्याशी के विपरीत हो सकता हैं की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। अब देखना यह होगा कि आम आदमी पार्टी के नेता, कार्यकर्ता या फिर मंत्री साहिब इस मामले को किस प्रकार लेते हैं। मुझे दें इजाजत। जय राम जी की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here