सरस मेला:शिल्पकारों व सैल्फ हैल्प ग्रुपों की हुई 1 करोड़ 85 लाख की सेल

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: मुक्ता वालिया। लाजवंती खेल स्टेडियम में आयोजित क्षेत्रीय सरस मेला सफलता के साथ आगे बढ़ रहा है और हर रोज मेला प्रेमियों की गिनती में इजाफा हो रहा है। मेले में अब तक विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकारों व सैल्फ हैल्प ग्रुपोंं की 28 अक्तूबर तक 1 करोड़ 85 लाख रु पए की सेल हो चुकी हैं वहीं मेले में लगे टिकट काउंटरों से 42 हजार से ज्यादा के करीब टिकटें बिक गई हैं। सरस मेले में विभिन्न राज्यों से आए महिला सैल्फ हैल्प ग्रुपों का दबदबा है और उनके द्वारा बनाई गई कलाकृतियों को लोग खूब पसंद भी कर रहे हैं।

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महिलाओं के यह सैल्फ हैल्प ग्रुप हैं न सिर्फ महिला सशक्ति करण को बढ़ावा दे रहे हैं बल्कि सम्मान के साथ जीने की प्रेरणा भी दे रहे हैं। जिलाधीश ईशा कालिया ने कहा कि मेले में लोगों के उत्साह व रुझान को देखते हुए मेले की तिथि में एक दिन का इजाफा कर दिया है। अब मेला 4 नवंबर(रविवार) तक चलेगा। उन्होंने कहा कि एक महिला के लिए आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना महत्वपूर्ण होता है और सैल्फ हैल्प ग्रुपों ने ऐसी महिलाओं को सही मौका प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि होशियारपुर में आयोजित क्षेत्रीय सरस मेले में सैल्फ हैल्प ग्रुपों के रहने, खाने-पीने व एक स्थान से दूसरे स्थान पर इनके उत्पाद सुरक्षित पहुंचाने के लिए प्रशासन की ओर से विशेष व्यवस्था की गई है।

 

मेले में आए गुजरात से कृष्ण सैल्फ हैल्प ग्रुप की पूनम सरस मेले में काफी उत्साहित है। पूनम ने बताया कि आज से 5 वर्ष पहले उन्होंने 15 महिलाओं के साथ इस ग्रुप को शुरु किया था। इनका ग्रुप बैडशीट, कढ़ाई, कुशन व हैंडीक्राफ्ट की आईटमें बनाता है, जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने उन्हें एक बेहतरीन मंच दिया है जहां वे अपना सामान सीधे ग्राहक को बेचती हैं, जिससे उनका ग्रुप आर्थिक तौर पर काफी मजबूत हुआ है। पूनम ने बताया कि पंजाब में वे सभी सरस मेलों में अपना स्टाल लगा चुकी है और हर बार उनको पंजाबियों से भरपूर सहयोग मिला है।उन्होंने जिला प्रशासन की ओर से मेले में की गई व्यवस्था की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे पंजाब में लगने वाले मेलों में आने के लिए हमेशा उत्साहित रहती हैं।

स्टाल नंबर 251 लक्ष्मी सैल्फ हैल्प ग्रुप हिमाचली संस्कृति को दर्शाता है। कुल्लू के इस ग्रुप के कुल 8 सदस्य हैं। ग्रुप की सदस्य लाजो ने बताया कि उनकी ओर से वूलन के कपड़े, शाल, स्टोल, जैकेट, जुराब आदि बनाया जाता है, चूंकि अभी ठंड शुरु होने वाली है, ऐसे में लोग गर्म कपड़ों को काफी पसंद कर रहे हैं। लाजो ने बताया कि पहले हम सभी घर के काम तक ही सीमित थी, लेकिन हमने सैल्फ हैल्प ग्रुप बना न सिर्फ खालीपन से छुटकारा पाया बल्कि परिवार की आर्थिकता में भी योगदान दे रहे हैं। इसी तरह स्टाल नंबर 254 जम्मू एवं कश्मीर की परंपरा को दर्शा रहा है। बारामूला से आई महजबीन कश्मीरी शाल, ड्राई फ्रूट व काहवा बेच रही है। उन्होंने बताया कि 10 महिलाओं ने 2005 में गुलिस्तां सैल्फ हैल्प ग्रुप शुरु किया था।

उनकी शाल, ड्राई फ्रूट व काहवा को मेले में काफी लोग पसंद भी कर रहे हैं। महजबीन ने कहा कि सरस मेले में सैल्फ हैल्प ग्रुपों को अपने द्वारा बनाए गए उत्पादों को बेचने का मंच मिलता है। उन्होंने जिला प्रशासन की ओर से की गई व्यवस्था की प्रशंसा की। महाराष्ट्र से सावित्री सैल्फ हैल्प ग्रुप की ललिता ने बताया कि आज से दो साल पहले उनके साथ 11 महिलाओं ने यह ग्रुप शुरु किया था और आज सभी महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी होकर परिवार की आर्थिकता में भी मदद कर रही हैं। उनके ग्रुप की ओर से रोस्टेड गेहूं, बाजरा, ज्वार, आटे के बिस्किट आदि बनाए जाते हैं।

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