जीवन है तेरे हवाले ओ मुरलिया वाले पर… झूमे श्रद्धालु

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। आचार्य उपदेश कृष्ण जी महाराज श्री धाम वृंदावन वालों ने आज के दूसरे चरण में श्रीमद् भगवत महा पुराण कथा का रसपान करवाते हुए कहा कि रथी के शब्द का सम्पूर्ण अर्थ क्या है। सारथि जो है उसका सबसे पहला और मुख्य उदेश्य यह होता है की वो अपने रथी को अपने कंधे पर बिठा कर रथ पर स्वर करवाता है फिर रथी जो हुकम अपने सारथि को देता है सारथि रथ को उसी दिशा की और मोड़ देता है। इस उपतांत उन्होंने जीवन है तेरे हवाले ओ मुरलिया वाले पर कृष्ण धुन पर श्रद्धालुओं को झूमने पर विवश कर दिया। आगे उन्होंने महाराज परीक्षित की कथा का प्रसंग सुनाया की महाराज परीक्षित का नाम था विषम राम इनका नाम परीक्षित कैसे पड़ा यह सब की परीक्षा जरुर लेते थे तब से इनका नाम जो है वो परीक्षित पडट गया। आचार्य उपदेश कृष्ण जी ने कहा कि शरीर का रोग कथा सुनने से दूर नहीं होगा अगर सोचा जाए की मात्र कथा सुनने से ही रोग दूर हो जाते है तो जो मेरा सर दर्द रहता है, वो आज तक ठीक क्यों नही हुआ भव सागर से पार जाने का मात्र एक ही साधन है वो है श्रीमद् भागवत कथा।

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उन्होंने कहा की हमारे भीतर के रोग हमें दीखते नहीं और अंदर ही अंदर बढ़ते जाते है, जैसे लकड़ी हमें ऊपर से देखने में सुंदर दिखाई देती है परन्तु दिमक उसको अंदर से खोखला करती जाती है। उन्होंने आगे की कथा में कहा की सूत जी महाराज हरि कथा सुनाने में और कृष्ण जी महाराज कथा को सुनने में आनद ले रहे थे, एक सुना करके आनन्द ले रहा है और एक सुन करके आनन्द ले रहा है वेद शास्त्रों की कथा करते और सुनते हुए अंत में आचार्य उपदेश कृष्ण जी ने कहा कि भगवान कि अपने जीवन के मूल का ही पता न हो वो नर से नारायण कैसे बन पाएगा।

जिसको अपने आप की पहचान ही न हो मैं कौन हूं क्या हूं ऐसी ही स्थिति होगी कलयुग के जीवन की वो जीव नर से नारायण बनने की वो प्ररेणा जो भगवान ने हमें सिखाई वो कलयुग का जीव जो अपनी कलयुग की कामनाओं में उलझा हुआ है वह प्रभु चरणों में जाकर इन उलझनों से दूर रहता है। इस अवसर पर डा. नरेश बरुटा, चंदर शेखर बरुटा, ब्रिजेश चंद्र, राम प्रकाश जैरथ, जोगिंदर मोदी, सुनील ठाकुर, कुलदीप कुमार, सुभाष चंद्र खन्ना, राधा रमन, राधे कांत केहड़ व रचना देवी आदि उपस्थित थे।

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