होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़) रिपोर्ट : डा. ममता। आचार्य उपदेशकृष्ण जी महाराज श्री धाम वृंदावन वालो ने अपने मुखर बिंद से श्री मदभागवत महापुराण कथा का रसपान करवाते हुए तीसरे दिन की कथा में राजा दक्ष की कथा का वर्णन सुनाते हुए कहा कि प्रजापति दक्ष की कई पुत्रियां थी। सभी पुत्रियां गुणवती थी। पर दक्ष के मन में संतोष नहीं था। वे चाहते थे उनके घर में एक ऐसी पुत्री का जन्म हो, जो शक्ति-संपन्न हो, सर्व-विजयिनी हो। दक्ष एक ऐसी पुत्री के लिए तप करने लगे। तप करते-करते कई दिन बीत गए, तो भगवती आद्या ने प्रकट होकर कहा, कि मैं तुम्हारे तप से प्रसन्न हूं। मैं स्वय पुत्री रुप में तुम्हारे यहां जन्म धारण करूंगी। मेरा नाम होगा सती। मैं सती के रूप में जन्म लेकर अपनी लीलाओं का विस्तार करूंगी। फलत: भगवती आद्या ने सती रूप में दक्ष के यहां जन्म लिया। सती ने बाल्यकाल में ही कई ऐसे अलौकिक कृत्य कर दिखाए थे, जिन्हें देखकर स्वयं प्रजापति दक्ष भी विस्मय हो जाते थे। इसी के साथ कथा को आगे बढ़ाते हुए कथावाचक ने भगवान शिव व माता सती जी के विवाह का प्रसंग सुनाया। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कैसे प्रजापति दक्ष भगवान शिव को अपने जमाता के रुप में पाकर प्रसन्न नहीं थे। और दक्ष का यह ईष्याभाव व वैर विरोध भाव ही माता सती के आत्मसात करने का कारण बना।
इस मौके पर डा. नरेश बरुटा, चंदर शेखर बरुटा, ब्रजेश चंद्र, राम प्रकाश जैरथ, जोगिंदर मोदी, सुनील ठाकुर, कुलदीप कुमार, सुभाष चंद्र खन्ना, राधा रमन व राधेकांत केहड़, रचना देवी उपस्थित थे।
श्री मदभागवत महापुराण कथा: भगवान शिव व माता सती का प्रसंग सुनाया
Advertisements