भाजपा: कार्यकर्ताओं को दे रही नामोशी का तोहफा

download (2)मनप्रीत सिंह रेहसी (कार्यकारी संपादक, द स्टैलर न्यूज़)

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-प्रदेश टीम के विस्तार की एक पल की घोषणा तो कभी रोक ने दिया चर्चाओं को जन्म-

जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे एक तरफ जहां लगभग प्रत्येक राजनीतिक पार्टी संगठनात्मक ढांचा मजबूत करने में लगी है वहीं प्रदेश भाजपा के हालातों से लगता ही नहीं कि पार्टी चुनाव के लिए तैयार है या हो रही है। क्योंकि पार्टी द्वारा प्रदेश की यूथ टीम व जिला स्तरीय टीमों की घोषणा जिस तरीके से की जा रही है उससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि संगठन कुशलता का राग अलापने वाली भाजपा के नेताओं व कार्यकर्ताओं में कोई समरसता है। इसके चलते कभी टीम की घोषणा की जा रही है तो दूसरे ही पल उस पर रोक लगा दी जा रही है। जिसके चलते घोषित हुए पदाधिकारियों को बधाई लेने उपरांत रोक के कारण मायूसी का सामना करना पड़ रहा है। जिससे उनकी प्रतिष्ठा और मनोबल पर असर पडऩा स्वभाविक सी बात है।

राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजर गर्म

हालांकि ऐसा लगभग हरेक पार्टी में ही होता होगा, परन्तु भाजपा के लिए यह समय बहुत ही नाजुक माना जा रहा है और उसके लिए पंजाब मेें अपनी साख बचाने के लिए पहले से अधिक मेहनत की जरुरत समझी जा रही है। मगर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं को बाजार पूरी तरह से गर्म है कि जिन परिस्थितियों में भाजपा को फूट-फूट कर कदम रखना चाहिए वहीं भाजपा द्वारा इतना समय बीत जाने के बाद भी टीम का कुशलनात्मक ढंग से गठन न किया जाना कहीं न कहीं टीम लीडरशिप की कमी कही जा सकती है। राजनीतिक माहिरों की इतना ही नहीं टीम की औपचारिक घोषणा के बाद उस पर रोक जहां गुटबाजी की सुलगते अंगारों की तरफ इशारा करती है वहीं सत्ता हाथ में आने के बाद अपनों को आगे लाने की कला का प्रदर्शन भी खुल कर हो रहा है। जिसके चलते ऐसे-ऐसे लोगों को पार्टी में आगे लाया जा रहा है जिन्हें या तो पार्टी से जुड़े चंद रोज़ ही हुए हैं या फिर वे पार्टी के न भी होते हुए सिर्फ और सिर्फ सिफारिश के दम पर व अपने आका की साख की खातिर पदों से नवाजे जा रहे हैं। जिसका आम वोटर व पार्टी से जुड़े लोगों में संदेश कुछ सार्थक नहीं जा रहा। हालांकि मौजूदा नेताओं द्वारा एक मंच पर आने की बात की जा रही है, पर उसमें कितनी सच्चाई है टीम में हो रहे फेरबदल और पार्टी में गुटों में बढ़ती दूरियां शुभ संकेत नहीं हैं।

कोई पैराशूट से आ रहा है तो कोई सिफारिश की गठरी उठाए हो रहा शामिल

पार्टी सूत्रों की मानें तो ऐसे नेता भी हैं जो इन दूरियों को कम करने का प्रयास कर रहे हैं, मगर प्रतिष्ठा का सवाल बनाकर बैठे नेता और एक-दूसरे को शक्ति आने पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करने वाले उनकी कोशिशों को सफल नहीं होने दे रहे। जिसके चलते आने वाले चुनाव में कहीं न कहीं पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है। राजनीतिक माहिरों की मानें तो पार्टी में अधिकतर ऐसे लोग आगे आने के सपने देख रहे हैं जिन्होंने शायद ही पार्टी के लिए जमीनी स्तर से काम किया हो। कोई पैराशूट से उतर रहा है तो कोई सिफारिश की गठरी उठाए पदों की तलाश में है। राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि अगर पार्टी ने पुराने कार्यकर्ताओं को बनता सम्मान न दिया तथा पैराशूट व सिफारिश वालों को आगे लाया जाता है तो वोटर के साथ-साथ पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं पर इसका विपरीत असर पडऩे की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।

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