कुविचारों, दुष्प्रवृतियों, अवगुणों व कुसंस्कारों का संहार करती है शिव भक्ति: साध्वी राजविंदर भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गौतम नगर आश्रम होशियारपुर में महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य पर करवाए धार्मिक कार्यक्रम में प्रवचन करते हुए श्री आशुतोष महाराज जी कि शिष्या साध्वी सुश्री राजविंदर भारती जी ने बताया कि भगवान शिव की भक्ति मानव जाति का मार्गदर्शन करती है। भगवान शिव का रहस्यमयी विचित्र श्रृंगार हमें यह संकेत देता है कि हम भक्ति मार्ग की ओर कैसे अग्रसर हों।

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भगवान शिव को त्रयंबकम कहा जाता है अंबक अर्थात नेत्र, त्रेय अर्थात तीन नेत्रो वाले इसी तीसरे नेत्र से उन्होंने काम दहन किया था। प्रत्येक प्राणी में गुप्त तृतीय नेत्र होता है। लेकिन वह ब्रहमनिष्ठ संत की कृपा से प्राप्त किया जा सकता है। भगवान शिव के नरमुण्ड़ो की माला धारण की जो हमें जीवन की नश्वरता के प्रति सर्तक कर रही है। विडंबना की बात यह है कि आज मानव उनकी लीलाओं से कु छ सीखने की बजाय शिवरात्रि पर शोर-शराबे के बीच अश्लील गाने गाये जाते है और धतूरा, भांग, गंाजा आदि नशीली चीजों का प्रयोग किया जाता है जोकि समाज के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है।

भगवान शिव को ज्ञान के दृष्टिकोण से जाने, वह भांग का नही नाम का नशा करते थे। अंत में उन्होंने कहा कि भगवान शिव संहारकर्ता के रुप में जाने जाते है। जब ब्रह्यज्ञान में दिक्षित हुआ एक साधक दृढ़ता से भक्ति मार्ग पर चलता है तो संत उसके जीवन में महादेव शिव की भूमिका निभाते हैं। जोकि भक्त के कुविचारों, दुष्प्रवृतियों, अवगुणों व कुसंस्कारों का संहार करते है फ लत: साधक निर्मल, पविन्न व श्रेष्ठ व्यक्तित्व को प्राप्त करता है। इस अवसर पर भारी मात्रा में श्रद्धालुगण मौजूद थे।

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