श्री कृष्ण और रूकमणी जी के विवाह प्रसंग के साथ पांच दिवसीय कथा संपन्न

होशियारपुर/टांडा उड़मुड़ (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रिषीपाल। श्री राम कृष्ण आराधना मंंच पंजाब की ओर से श्री विश्वर्कमा मंदिर टांडा में पांच दिवसीय श्री कृष्ण कथा के पांचवे और अंतिम दिवस की सभा में साध्वी सौम्य भारती जी ने श्री कृष्ण और रूकमणी जी के विवाह प्रसंग को बहुत ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि कृष्ण भाव परमात्मा और रुकमनी भाव आत्मा है, लेकिन आज मानव अपने वास्तविक सत्य से अनभिज्ञ है।

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मननशील प्राणी होते हुए भी वह उस तत्व पर विचार नही करता जिस पर मनन करने से उसे अपने जीवन का लक्ष्य मिल सकता है। मनुष्य समाज दो भागों में बंटा हुआ है नर और नारी। नर की उन्नति, सुविधा और सुरक्षा के लिए तो प्रयत्न किया जाता है, परंतु नारी हर क्षेत्र में पिछड़ी है। जिस रथ का एक पहिया बड़ा और दूसरा छोटा हो वह ठीक ढंग़ से नहीं चल सकता। हमारा देश, समाज, जाति तब तक सच्चे अर्थों में विकसित नहीं कहे जा सकते। जब तक नारी को भी नर के समान ही क्रियाशीलता और प्रतिभा प्रकट करने का अवसर न मिले।

भारतीय संस्कृति में स्त्री व पुरुष दोनों को एक गाड़ी के दो पहियों की तरह माना गया था। दोनों पहिए साथ-साथ और बराबर चलेंगें तभी जीवन रुपी गाड़ी भली प्रकार अग्रसर हो सकती है। इसी दृष्टि से स्त्री को पुरुष की अर्धांगिनी कहा गया था। शतपथ ब्राह्मण में लिखा है कि पत्नी पुरुष की आत्मा का आधा भाग है। महाभारत में भी लिखा है कि भार्या पुरुष का आधा भाग व उसका श्रेष्ठतम मित्र है। वही त्रिवर्ग की जड़ है और तारने वाली है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि वर्तमान सामाजिक स्थिति में जहां अन्य विषयों में भारतीय समाज का पतन हुआ, वहीं स्त्रियों की स्थिति बहुत गिर गई। महिलाओं के प्रति ऐसा किसी एक समाज या एक जगह का मुद्दा नहीं है बल्कि यह समाज के हर वर्ग की बात है। जब कोई मुद्दा समाज के हर वर्ग को प्रभावित करता है और इसीलिए उस मुद्दे पर गौर करना आवश्यक भी हो जाता है। कहीं इज्जत के नाम पर महिलाओं पर हिंसा होती है तो कहीं शारीरिक मर्यादा को लेकर। कहीं सिर्फ महिला होने की वजह से उसका संपत्ति की तरह उपयोग होता है तो कही महिला होने की वजह से ही वो जीने का अधिकार भी खो देती है। हिंसा चाहे शारीरिक हो, मानसिक हो या किसी भी प्रकार की हो कारण सत्ता ही होती है। इस हिंसा में न सिर्फ महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को हानि पहुंचती है बल्कि ये उनके मानव अधिकारों का उल्लघंन भी है।

अंत में साध्वी जी ने उपस्थित जनसमूह को बताया कि राजा परीक्षित की मुक्ति केवल कृष्ण लीलाओं को श्रवण करने से नहीं अपितु प्रभु को तत्व से जान लेने से हुई थी। उन्होंने शुकदेव मुनि द्वारा ब्रहमज्ञान प्राप्त किया था और आज दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा ब्रहमज्ञान प्राप्त कर असंख्य लोंगों ने परीक्षित की तरह धर्म मुक्ति के मार्ग को अपनाया है।

कथा के दौरान विजय सांपला (केंद्रीय राज्य मंत्री, भारत सरकार), स्वामी सज्जनानंद जी, स्वामी सदानंद जी, स्वामी बलराम, डा. मुकेश गुप्ता (एक्स आई.एम.ए. प्रैजीडेंट, जालंधर), जवाहर खुराना (एक्स चैयरमैन पलानिंग र्बोड), इंद्रजीत मेहता भोगपुर, सुरेश कुमार जैन (एस.एस. जैन सभा), डा. हर्ष दाहिया, सुशील मोंटू, विपन मरवाहा, राजेश कुमार (बिट्टू बारदाना हाउस), डिप्टी राय (डी.के. फर्नीचर हाउस), जसवंत राय (रत्न कलाथ हाउस), पंकज तलवाड़, संगर टैलीकाम, ब्रिज मोहन अरोड़ा (बाबा बूटा भगत प्रबंधक कमेटी), आयशा ठाकुर (वैष्णो कीर्तिन मंडली माता मंदिर), बलजीत मरवाहा, सन्नी मरवाहा, प्राचीन शिव मंदिर बेगोवाल विद्या सागर, हरबंस सिंह शिवचरण (बाबा विश्वर्कमा मंदिर), प्रिंस जौली र्दूगा दास एंड संनस, प्रोफैसर पवन पालटा (रीयल लाइफ क्लब) जी ने दीप प्रज्जवलन की रस्म को अदा किया।

इस अवसर पर साध्वी त्रिपुंड धारनी, योगिनी भारती जी, सदया भारती, कत्रिका भारती, हरविंद्र भारती, रविंद्र भारती ने मधुर भजनों का गायन किया।

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