अपने इष्ट तक पहुंचने का संत हैं मार्ग: साध्वी पूजा भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: डा. ममता। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के द्वारा बाबा तारा गुरु मंदिर, बस्सी वाजिद में तीन दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया गया। कथा के अंतिम दिवस में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री पूजा भारती जी ने भगवान श्री कृष्ण के मित्र व अन्नय भक्त सुदामा जी की जीवन गाथा का वर्णन किया।

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साध्वी जी ने कहा कि इस कथा का एक प्रतीकात्मक संदेश है। सुदामा का अर्थ है जो अच्छी तरह से बंधा हुआ है। हर वह जीव जो बंधनों में जकड़ा है, वह सुदामा है। कथा अनुसार सुदामा श्रीकृष्ण का मित्र है। यह जीव भी ईशवर का मित्र है, ईशवर का अंश है। ईश्वर अंस जीव अविनासी। ये दो पक्षी एक ही वृक्ष के आश्रय में रहते हैं। एक वृक्ष के फलों को खाता है और दूसरा अनासक्त भाव से दृष्टा बनकर रहता है। जीव संसारिक पदार्थों के प्रति इतना आसक्त हो जाता है कि वह परमात्मा को बिल्कुल ही भूल बैठता है। मात्र अपने स्वार्थ तक ही सीमित रहता है। लेकिन जब कभी एक जीव के पुण्य कर्म जाग्रत होते हैं तो एक पूर्ण संत का जीवन में पदार्पण होता है।

तुलसीदास जी कहते हैं- पुण्य पुंज बिनु मिलहिं न संता और संत वह मार्ग है, जो इष्ट तक पहुंचा सकते हैं। जीव संसारिक मोह से निकल कर उस वास्तविक प्रेम को जान सकता है, जो सनातन है पुरातन है। लेकिन इस प्रेम को जानने से पूर्व हमें इसके वास्तविक स्त्रोत को जानना होगा। जिसके बारे में गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं जाने बिन न होई प्रतीति। तत्वज्ञानी संत ईश्वर के साथ प्रेम करने के सूत्र बताते हुए कहते है कि ईश्वर को जानने अर्थात देखने के पश्चात ही ईश्वर के साथ शाश्वत प्रेम हो सकता है।

साध्वी जी ने कहा कि सुदामा के जीवन की गाथा एक आध्यात्मिक संदेश देती है कि मानव अपने जीवन में ऐसे सदगुरु की शरण में जाए जो उसके घट में धर्म के चार पदार्थ प्रकट कर दे जिसे ब्रहमज्ञान कहते है। अन्य साध्वी बहनों ने भजनों का गायन कर संगत को निहाल कर दिया।

इस अवसर पर विशेष रुप में साध्वी रुकमणी भारती जी, साध्वी शिप्रा भारती जी, साध्वी भार्गवी जी, बीना शहरी सरपंच, बलविंदर शहरी पूर्व सरपंच, राकेश दत्ता, पंडित पिंकी, चंद्रशेखर, मनु पंच, राजेश शर्मा, प्रवीन कुमारी, निर्मला, सुरेश शर्मा, लक्की शर्मा, गरीब दास, राजेश कुमार, प्रदीप कुमार सदस्य राजपूत करनी सेना, सोनिया प्रभाकर, सुमन प्रभाकर, रशपाल चंद, विशाल, सुदमा, सतीश कुमार, सुरिंद्र पाल, संजीव कुमार, गोल्डी आदि और श्रद्धालुगण मौजूद थे। कार्यक्रम का समापन प्रभु की पावन आरती के साथ किया गया। अंत में बाबा तारा गुरु मंदिर कमेटी की ओर से सभी साध्वी बहनों को सम्मानित भी किया गया।

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