पांच विकारों को छोड़ जीवन की सत्यता जाने और पांच सूत्र अपनाकर करें मानवता की सेवा: संजीव अरोड़ा

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। जिस प्रकार व्यक्ति पांच विकारों (काम, क्रोध, मोह, अहंकार एवं लोभ) को त्याग कर जीवन की सत्यता को जान लेता है उसी प्रकार भारत विकास परिषद के पांच सूत्रों (संपर्क, सहयोग, संस्कार, सेवा एवं समर्पण) पर चलकर व्यक्ति मानवता की सच्ची सेवा के सौभाग्य को प्राप्त करता है। भाविप के साथ जुडक़र व्यक्ति पूरी उम्र निस्वार्थ भाव से मानव सेवा को समर्पित रहता है।

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ऐसा इसलिए है क्योंकि हर सदस्य पांच सूत्रों का जीवन भर अनुसरन करता है। 10 जुलाई को भाविप का स्थापना दिवस मनाया जाता है। क्योंकि, इसी दिन 1963 में डा. सूरज प्रकाश जी ने दिल्ली में परिषद की स्थापना की थी, जो आज पूरे विश्व में लाखों सदस्यों की श्रृंख्ला बनकर मानवता की सेवा को पूर्ण रुप से तत्पर है। यह विचार भारत विकास परिषद (पंजाब प्रांत पश्चिम) के प्रांतीय कनवीनर एवं प्रमुख समाज सेवी संजीव अरोड़ा ने परिषद के स्थापना दिवस संबंधी जानकारी देते हुए प्रकट किए।

-10 जुलाई भाविप स्थापना दिवस पर विशेष

संजीव अरोड़ा ने बताया कि डा. सूरज प्रकाश का जन्म 27 जून 1920 को जिला गुरदासपुर के गांव शमाल में राम शरण महाजन क घर हुआ था। उन्होंने सन् 1943 में लाहौर के किंग एडवर्ड मैडीकल कालेज से डाक्टरी की परीक्षा उतीर्ण करने के बाद बालक राम मैडीकल कालेज में प्रवक्ता के पद पर कार्य करना प्रारंभ किया। इस दौरान परिवार से मिले संस्कारों ने उन्हें समाज के पिछड़े, आर्थिक तौर से गरीब एवं शारीरिक तौर से अक्षम लोगों की मदद के लिए प्रेरित किया और उन्होंने एक ऐसी संस्था बनाने का निर्णय लिया जो निस्वार्थ भाव से जनमानस की सेवा को तत्पर रहे। लंबे संघर्ष और कठिनाईयों को पार करते हुए उन्होंने 1963 में डा. सूरज प्रकाश ने परिषद की स्थापना की।

संजीव अरोड़ा ने बताया कि आज परिषद की देश-विदेश में 1600 शाखाओं के लगभग 1 लाख 10 हजार सदस्य मानव सेवा के लिए दिन-रात कार्य कर रहे हैं। परिषद मानव सेवा के साथ-साथ, भारतीय संस्कृति के उत्थान, प्रचार एवं प्रसार के अलावा, भारतीय वीर गाथाओं से भरे इतिहास को संजोये रखने व उसे आगामी पीढिय़ों तक पहुंचाने के अलावा पर्यावरण संरक्षण के पथ पर भी अग्रणीय भूमिका में कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि शारीरिक तौर से अक्षम भाई-बहनों को कृत्रिम अंग प्रकान करना भी परिषद के महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है।

देश में अंधेपन (कार्नियल ब्लाइंडनैस) को दूर करने के लिए नेत्रदान को लेकर भी कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ताकि लोग जागरुक होकर मरणोपरांत नेत्रदान करने का प्रण करें व दो लोगों की जिंदगी को रोशन करें। परिषद द्वारा देश के अलग-अलग हिस्सों में न्यूनतम रेट पर डायगनोस्टिक सेंटर चलाए जा रहे हैं, जहां पर रोजाना हजारों लोग लाभांवित हो रहे हैं। संजीव अरोड़ा ने बताया कि होशियारपुर में परिषद की ईकाई का गठन 2005 में हुआ था तथा आज ईकाई के करीब 50 सदस्य क्षेत्र में जरुरतमंदों की सेवा में सक्रिय योगदान डाल रहे हैं। संजीव अरोड़ा ने बताया कि होशियारपुर ईकाई द्वारा परिषद का स्थापना दिवस कुष्ट आश्रम में मनाया जाएगा।

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