सतगुरू की शरण में जाकर नकारात्मक विचारों से मिलती है मुक्ति: माता सुदीक्षा

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। सतगुरु की शरण में जाकर ब्रह्मज्ञान हासिल करके इंसान को वैर, ईष्र्या, नफरत, अहंकार तथा अन्य सभी नकारात्मक विचारों एवं भावनाओं से मुक्ति मिलती है। यह विचार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने मुक्ति पर्व पर दिल्ली में आयोजित निरंकारी संत समागम के दौरान प्रकट किए। सतगुुरु माता जी ने कहा कि जो भक्त ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर लेते हैं उनके मनों से ऐसी सभी दुर्भावनाएं दूर हो जाती हैं तथा प्रीत-प्यार, नम्रता, विशालता और सहनशीलता जैसे सदगुण आ जाते हैं।

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देश की आजादी भी आध्यात्मिक जागरूकता से और सार्थक बन जाती है। मुक्ति पर्व के अवसर पर सद्गुरु माता जी की अध्यक्षता में आयोजित इस मुख्य समागम के साथ-साथ देश भर में मिशन की शाखाओं ने भी इसी प्रकार विशेष सत्संग कार्यक्रम आयोजित किए। निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज ने कहा कि संत महापुरुषों ने अपना जीवन मानवता को समर्पित कर दिया और उनको मुक्ति जीते जी ही मिल गई। सतगुरु माता जी ने कहा कि गुरसिख इस दुनिया में से जो अच्छा है वही ग्रहण करते हैं तथा जो बुराइयां होती है उन्हें वहीं छोड़ देते है। हर समय गुरसिख के जीवन में समय एक जैसा नहीं रहता।

गुरसिख को अगर कोई बुरा भला कह भी जाता है तो गुरसिख उसके प्रति मन में कोई बात न रखते हुए सतगुरु के निर्देशों के अनुसार एकरस रहता है। संगतों को प्रेरणा देते हुए कहा कि अगर कोई बुरा व्यवहार भी करता है तो उसके साथ अगर हम भी बुरा करते है तो वह पत्तन का कारण बनता है इसलिए संत महापुरुषों को शिक्षाओं को जीवन में ग्रहण करते हुए उनके साथ भी व्यवहार विनम्रता पूर्वक ही रखना है। मुक्ति पर्व पर मिशन के अनुयायी ऐसे महान भक्तों को अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा प्राप्त करते हैं जिन्होंने ब्रह्मज्ञान प्राप्त करके इस अमृत को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जीवन प्रयन्त प्रयास किए।

उन्होंने अपने सुख आराम की परवाह किए बिना तप त्याग की भावना से मिशन के प्रीत-प्यार, नम्रता, सद्भाव और सहनशीलता जैसे गुणों को अपने जीवन में अपनाया और प्रचार किया। रक्षा बंधन का उल्लेख करते हुये माता जी ने कहा कि हमारा सबसे बड़ा संरक्षक तो निरंकार ही है। अत: हम इसी का आसरा लेकर आगे बढ़ते जाएं। हमें यह भी विश्वास होना चाहिए कि यह पूर्ण है और पूर्ण का किया हर काम पूर्ण होता है चाहे वह हमारे हित में हो या ना हो। मुक्ति पर्व के संदेश को दोहराते हुए निरंकारी सद्गुरु माता जी ने कहा कि हमें अपने बुजुर्गों के जीवन से प्रेरणा लेनी होगी। उन्होंने इस निराकार प्रभु परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करके इसे जन-जनतक पहुंचाने का प्रयास किया। हम भी यदि उन्हीं सिद्धान्तों पर अमल करेंगे तो जीवन की ऊँचाईयों तक पहुंच सकेंगे।

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