हाकी पर संकट के बादल: सरकारी अध्यापक नदारद, प्राइवेट स्कूल अध्यापिका ने दिया सहारा, टीम ने कर दिखाया कमाल

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: संदीप डोगरा। सरकार चाहे कितने भी प्रयास कर ले, मगर पंजाब में खेलों और खिलाडिय़ों का भविष्य अंधकार में ही नजर आ रहा है। क्योंकि, जिस प्रदेश के खेल से जुड़े अध्यापक ही अपनी ड्यूटी से भागते हों वहां पर खेल व खिलाडिय़ों का भविष्य कैसे सुरक्षित रह सकता है। हालांकि कुछेक अध्यापकों की बदौलत कुछेक खेलें जरुर बची हुई हैं, मगर अधिकतर का हाल यह है कि उन्हें महीने बाद मोटा वेतन लेना तो याद रहता है, पर अपने कर्तव्य के प्रति उनका उदासीन रवैया बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ जरुर कर रहा है।

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होशियारपुर में खेल व खिलाडिय़ों के भविष्य से खिलवाड़ का एक ऐसा ही मामला सामने आया है। पंजाब सरकार की तरफ से बठिंडा में अंतर जिला खेल मुकाबले करवाए जा रहे हैं, जिसमें प्रदेश के प्रत्येक जिले से टीमें पहुंची हुई हैं। इन खेलों में भाग लेने के लिए होशियारपुर से भी हाकी टीम (लडक़े एवं लड़कियां) गई हुई है। जानकारी अनुसार टीमों के साथ बाकायदा तौर पर अध्यापकों की ड्यूटी भी लगाई गई थी। लडक़ों की टीम के साथ तो अध्यापक गए थे व वे वापिस भी आ चुके हैं। लेकिन लड़कियों की टीम के साथ जिन अध्यापकों की ड्यूटी लगाई गई थी, वे टीम के साथ गए ही नहीं। बल्कि उनके द्वारा न जाने की सूरत में एक प्राइवेट स्कूल में कार्यरत अध्यापिका लड़कियों की टीम के साथ बठिंडा गईं और खुशी की बात है कि होशियारपुर की टीम पहले 4 में आने में सफल रही। जोकि अपने आप में एक इतिहास है, क्योंकि आजतक पहले कभी भी होशियारपुर की हाकी टीम पहले चार में भी नहीं आई थी।

दुख की बात यह है कि सरकार से मोटी वेतन लेने वाले अध्यापक लड़कियों की टीम के साथ नहीं गए तथा सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार एक अध्यापक (डी.पी./पी.टी) ने अपनी पहुंच लड़ाकर अपनी ड्यूटी कटवा ली और दूसरे ने अपने हाकी खिलाड़ी का नाम लिस्ट से कटवा लिया, जबकि खिलाडिय़ों की रजिस्ट्रेशन ऑन लाइन हो चुकी थी। लेकिन अध्यापक ने बठिंडा न जाने की अपनी मजबूरी के चलते हाकी खिलाड़ी के भविष्य से खिलवाड़ करते हुए उसका नाम वापस ले लिया। दूसरी तरफ हाकी से प्रेम करने वाले अध्यापक एवं कोच ने बच्चों के भविष्य का ध्यान रखते हुए टीम के साथ जाने के लिए एक प्राइवेट स्कूल की अध्यापिका को राजी किया और उन्हें टीम के साथ भेजा।

यहां एक बात और भी काबिले जिकर है कि इनमें एक अध्यापक तो उस स्कूल से है जो अपनी उपलब्धियों के चलते काफी चर्चा में रहता है तथा उसे चैकिंग से विशेष छूट भी मिली हुई है। विशेष छूट से हमारा अर्थ यह है कि उस स्कूल में कोई भी अधिकारी चैकिंग के लिए नहीं जा सकता। इसलिए वहां की हैड और अध्यापक अकसर ही अपनी पहुंच के चलते मनमर्जी करने में कामयाब हो जाते हैं। लेकिन पंजाब सरकार के तंदरुस्त पंजाब के उद्देश्य की पूर्ति से उन्हें कोई सरोकार नहीं। इतना ही नहीं लड़कियों की जो टीम बठिंडा में खेलने गई उनमें एक भी टीम व खिलाड़ी स्कूल के डी.पी. या पी.टी. द्वारा तैयार नहीं की गई, बल्कि बच्चे प्राइवेट कोच एवं अकादमियों के सहारे ही खेल के माध्यम से स्कूल, शिक्षा विभाग एवं होशियारपुर का नाम रोशन करने का साहस दिखा रहे हैं।

इस संबंधी बात करने पर ए.ई.ओ. दलजीत सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि टीम के साथ जाने हेतु दो अध्यापकों की ड्यूटी लगाई गई थी। वे टीम के साथ क्यों नहीं गए इस बात की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि वे सारा मामले की जानकारी हासिल करके इसे जिला शिक्षा अधिकारी मोहन सिंह लेहल के ध्यान में लाएंगे तथा बच्चों के साथ न जाने वाले अध्यापकों के खिलाफ बनती कार्यवाही को अमल में लाया जाएगा।

अब देखना यह होगा कि टीम को बेसहारा छोडने वाले अध्यापकों तथा उनका साथ देने वाले उनके स्कूल मुखियों एवं इनमें शामिल अन्य पहुंच वाले लोगों पर शिक्षा विभाग क्या कार्यवाही करता है तथा भविष्य में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ को बढ़ावा देने वाले यह पहुंचवाले लोग कैसा रुख अपनाते हैं।

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