होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। भारतीय संस्कृति को बचाने तथा अपने धर्म की पालना करते हुए हमारे भारत देश में लाखों लोगों ने शहादतों का जाम पिया है तथा उनकी शहादत की बदौलत ही आज हम भारतीय संस्कृति की छाया में बढ़ फूल रहे हैं। इसलिए हमें धर्म के लिए बलिदान देने वालों को कभी नहीं भूलना चाहिए तथा उनके जन्म व बलिदान दिवस को श्रद्धापूर्व मनाना चाहिए। यह विचार नई सोच के संस्थापक अध्यक्ष अश्विनी गैंद ने अमर बलिदानी वीर हकीकत राय के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धा के पुष्प भेंट करते हुए व्यक्त किए। इस मौके पर अश्विनी गैंद ने कहा कि वीर हकीकत राय ने धर्म की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया था।
मुगल शासकों ने उन्हें जिंदा छोडऩे के बदले धर्म बदलकर मुस्लमान बनने की शर्त रखी थी, लेकिन धर्म के लिए जीना और धर्म के लिए मरना वाक्य का अनुसरन करते हुए वीर हकीकत राय ने बलिदान देना अपना धर्म समझा। उनका जन्म 1724 में हुआ था और स्कूल में अन्य छात्रों के साथ हुए मामूली विवाद को तत्कालीन मुल्लाओं द्वारा इतना बढ़ा दिया गया कि मुगल शासकों द्वारा वीर हकीकत राय के समक्ष धर्म बदलने या मरने की शर्त रख दी गई। वीर बालक जोकि उस समय मात्र 9 साल का था ने धर्म बदलने से साफ इंकार कर दिया और देश व धर्म के लिए शहादत का जाम पिया। उन्हें बसंत पंचमी वाले दिन 1734 में शहीद किया गया था। अश्विनी गैंद ने कहा कि हमारा इतिहास बलिदान से भरा है और ऐसे लाखों शहादतों के कारण ही आज हम भारतीय संस्कृति का अनुसरन कर पा रहे हैं। इसलिए इनका ऋण हम तभी उतार पाएंगे जब हम अपने धर्म और देश की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहें।
इस मौके पर प्रमुख समाज सेवी संजीव अरोड़ा, वीर प्रताप राणा, सुरेश भाटिया, दर्पण गुप्ता, बब्बा हांडा, अशोक शर्मा, लक्ष्मी गुप्ता, डा. संदीप सूद, रमन ओहरी, हरीश गुप्ता, पैप्पी, अश्विनी वर्मा, अभिषेक भाटिया, राजीव सोनी, सन्नी खोसला, अनूप शर्मा व सचिन टंडन आदि मौजूद थे।