विभिन्न गुरूद्वारों के जत्थेदारों की उपस्थिति में हुआ गुरूद्वारा श्री गुरू गरना साहिब जी की नई इमारत का उद्घाटन

दसुहा(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: रामपाल। मीरी-पीरी के मालिक साहिब श्री गुरु हरगोबिन्द साहिब जी के पावन अस्थान गुरुद्वारा श्री गरना साहिब जी में नई इमारत की सेवा का उद्घाटन श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की पावन हजूरी में जत्थेदार बाबा कश्मीर सिंह भूरी वाले, अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, जत्थेदार श्री अकाल तख्त अमृतसर साहिब, श्री हरमिंदर साहिब ज्ञानी रणजीत सिंह गोहर जत्थेदार पटना साहिब, जत्थेदार ज्ञानी रघवीर सिंह श्री केसगढ़ आनंदपुर साहिब, संत हरनाम सिंह धुम्मा मुखी दमदमी टकसाल महिता, जत्थेदार बाबा कश्मीर सिंह भूरी वाले, बाबा नरिंदर सिंह लंगरा वाले श्री हज़ूर साहिब, बाबा सुखविंदर सिंह व अन्य संतों महापुरषों ने अपने करकमलों से किया।

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इस अवसर पर बाबा कश्मीर सिंह भूरी वाले, अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, जत्थेदार श्री अकाल तख्त अमृतसर साहिब ने कहा कि साहिब श्री गुरू हरगोबिंद जी महाराज दोआबा की धरती गरना साहिब में यहां गुरु साहिब ठहरे थे तथा यहां पर गरने का पौधा है जिसके साथ गुरु साहिब ने अपने घोड़े को बांधा था। इस पावन धरती पर एक आलिशान ईमारत समूह संगतों के सहयोग से बनाई जा रही है तथा बड़े सरोवर का भी निर्माण कार्य शुरू किया जा रहा है।

उन्होंने कहा की राष्ट्रीय मार्ग किनारे गुरु साहिब की चरण छूह प्राप्त इस धरती पर स्थित गुरुद्वारा साहिब में बड़ी इमारत व बड़ा सरोवर बनना इलाके की संगतों में बेहद खुशी की बात है। उन्होंने बताया की गुरुद्वारा साहिब गरणा साहिब में बड़े सरोवर का भी निर्माण कार्य शुरू किया जायेगा। इस मौके पर श्री अखंड पाठ के भोग डाले गए उपरांत खुले पंडाल में दीवान सजाये गए। जिसमें सिख पंथ के रागी भाई शौकीन सिंह रागी सचखंड श्री दरबार साहिब अमृतसर सहित अन्य रागी ढाडी जत्थों ने संगतों को गुरुबाणी से निहाल किया।

इस अवसर पर मंच संचालक की भूमिका भाई जगदेव सिंह हेड प्रचारक द्वारा बखूबी निभाई गई। इस अवसर पर एसडीएम ज्योति बाला मट्टू, जत्थेदार तारा सिंह सल्लां सदस्य एस.जी.पी.सी., बाबा हरजिंदर सिंह, बाबा हरविंदर सिंह, बाबा सुरिंदर सिंह, बाबा जगजीत सिंह कार सेवा, बाबा गुरदीप सिंह वडान, बाबा गुरदयाल सिंह टांडा, बाबा सतनाम सिंह, जत्थेदार जोगिंदर सिंह, बाबा सतनाम सिंह, बाबा गुरमुख सिंह, बाबा जगतार सिंह हेड ग्रंथी, सतिंदर सिंह पंडोरी सहित बड़ी संख्या में जत्थेदार, संत, महापुरूष आदि मौजूद थे।

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