शीतला अष्टमी: सुबह से ही लगा मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता, जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: संदीप वर्मा। हिंदू धर्म में हर साल होली के आठवें दिन शीतला अष्टमी मनाई जाती है। इस साल शीतला अष्टमी आज यानी 17 मार्च को मनाई जा रही है। कृष्ण पक्ष की इस शीतला अष्टमी को बासौड़ा और शीतलाष्टमी के नाम से भी पहचाना जाता है। शीतला अष्टमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला माता का स्वरूप अत्यंत शीतल है, जो रोग-दोषों को हरण करने वाली हैं। माता के हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते हैं और वे गधे की सवारी करती हैं।

Advertisements

आज मंगलवार को सुबह से ही शीतला माता मंदिर होशियारपुर में सुबह 5 बजे से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया। मन्दिर कमेटी की तरफ से सोमवार रात से ही भक्तों के दर्शनों के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए थे। ताकि भक्तों को लेकर कोई परेशानी न हो। भक्तों ने अपने अपने घर से माता शीतला के लिए रात को बना भोग कच्ची लस्सी आज सुबह माता को अर्पित कर सुख समृद्धि मांगी। शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त सुबह 6 बजकर 29 मिनट से सुबह 6 बजकर 30 मिनट तक है।

शीतला अष्टमी व्रत का महत्व

माना जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को कई तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है। शीतला अष्टमी के दिन शीतला मां का पूजन करने से चेचक, खसरा, बड़ी माता, छोटी माता जैसी बीमारियां नहीं होती हैं। अष्टमी ऋतु परिवर्तन का संकेत देती है। यही वजह है कि इस बदलाव से बचने के लिए साफ-सफाई का पूर्ण ध्यान रखना होता है। माना जाता है कि इस अष्टमी के बाद बासी खाना नहीं खाया जाता है।

सबसे पहले शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा लें। पूजा की थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रखें। दूसरी थाली में आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, होली वाली बडक़ुले की माला, सिक्के और मेहंदी रखें। दोनों थालियों के साथ में ठंडे पानी का लोटा भी रख दें। अब शीतला माता की पूजा करें। माता को सभी चीज़े चढ़ाने के बाद खुद और घर से सभी सदस्यों को हल्दी का टीका लगाएं। मंदिर में पहले माता को जल चढ़ाकर रोली और हल्दी का टीका करें।

माता को मेहंदी, मोली और वस्त्र अर्पित करें। आटे के दीपक को बिना जलाए माता को अर्पित करें। अंत में वापस जल चढ़ाएं और थोड़ा जल बचाकर उसे घर के सभी सदस्यों को आंखों पर लगाने को दें। बाकी बचा हुआ जल घर के हर हिस्से में छिडक़ दें। इसके बाद होलिका दहन वाली जगह पर भी जाकर पूजा करें। वहां थोड़ा जल और पूजन सामग्री चढ़ाएं। घर आने के बाद पानी रखने की जगह पर पूजा करें, अगर पूजन सामग्री बच जाए तो गाय या ब्राह्मण को दे दें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here