होलसेलर कालाबाजारियों का बोलबाला, फंस रहा रिटेलर: ठेंगे पर प्रशासन के आदेश और दावे

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। करफ्यू के दौरान आम लोगों को जरुरत का सामान निर्विघ्न मिलता रहे तथा करफ्यू लगने से पहले के रेटों पर बेचा जाए, संबंधी जिलाधीश द्वारा जारी किए गए निर्देशों को कुछ कालाबारिये होलसेलरों द्वारा सरेआम आदेशों को ठेंगा दिखाया जा रहा है। एक तरफ कोरोना के चलते देशवासियों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और सरकारें इससे आम जनता को बचाने के लिए एडी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं तो वहीं दूसरी तरफ राष्ट्र पर आई विपदा को दरकिनार करते हुए कुछ लालची और स्वार्थी लोग ऐसे हैं जो कालाबाजारी करके इस मौके पर भी अपनी जेबें भरने से गुरेज नहीं कर रहे। आलम यह है कि किसी भी वस्तु की कमी न होने के बावजूद कालाबाजारी का बोलबाला होना कहीं न कहीं जहां संबंधित विभाग के अधिकारियों की ढीली व उदासीन कार्यप्रणाली की तरफ संकेत करता है वहीं अधिकतर होलसेलरों व चंद रिटेलरों के लालच और स्वार्थ को भी प्रकट करता है। सूत्रों का कहना है कि जो लोग प्रशासन की सख्ती से नहीं डर रहे, उससे साफ है कि उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक पहुंच कितनी होगी इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

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करफ्यू से पहले 10 किलोग्राम आटे की थैली 230-235 रुपये की थी, अब कई होलसेलर यही थैली 275-280 में दे रहे हैं। काले चने 55 रुपये से 65 रुपये हो गए, चना दाल 55 से 64-65 प्रतिकिलोग्राम, चीनी 34-36 रुपये से 40-42-45 रुपये प्रति किलोग्राम (कुछ स्टोरों पर 48 रुपये भी वसूले जा रहे हैं), सरसों का तेल 80 से 98 रुपये प्रति बोतल तथा रिफाइंड जो पहले 85 रुपये में मिल रहा था वो 95 रुपये में रिटेलर को दिया जा रहा है। यह तो चंद वस्तुएं हैं जिनकी कालाबाजारी जोरों पर है तथा ऐसे ही अन्य समस्त वस्तुओं के दाम 5 रुपये से लेकर 10-20 नहीं बल्कि 50 रुपये तक बढ़ाकर रिटेलरों को सामान दिया जा रहा है। ऐसे में जब रिटेलर आम ग्राहक को सामान बेचेगा तो उसमें उसका मुनाफा भी जुड़ जाएगा तो ऐसे में ग्राहक को सामान महंगे दाम पर मिलना तो स्वाभाविक है। सूत्रों की माने तो विभाग को शहर के समस्त बड़े स्टॉकिस्टों की जानकारी है तथा वे चाहे तो शहर निवासियों को एक रुपया भी महंगी चीज न मिले, लेकिन अन्य प्रबंधों में लगे प्रशासन का ध्यान इस तरफ नहीं जा रहा।

जिसके चलते होलसेलर मनमर्जी के दाम वसूल कर खूब तिजोरियां भर रहे हैं। रिटेलरों का कहना है कि वे जिस दाम में होलसेलर से माल लेकर आते हैं उसमें उनका थोड़ा मुनाफा होता है तथा अगर वे मुनाफा नहीं रखेंगे तो उनके समक्ष अपने परिवार के भूखों रहने की नौबत आ जाएगी। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि वे हर वस्तु का होलसेलर व रिटेलर दाम तय कर दे ताकि किसी को भी नुकसान न हो और लोगों को भी सही दाम पर वस्तु मिलती रहे। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस समाचार को कितनी संजीदगी से लेते हुए कार्यवाही को अमल में लाता है तथा किसी भी वस्तु की कमी न होने के बावजूद भी कालाबाजारी करने वालों पर कितनी सख्त कार्यवाही करते हुए समाज को सकारात्मक संदेश देता है।

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