दुकानों और स्टोरों की सुरक्षा करने में पुलिस तंत्र फेल, सरकार उठाए कड़े कदम: दर्पण गुप्ता

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। करफ्यू के चलते जहां पुलिस प्रशासन द्वारा चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा बिठाया गया है वहीं दूसरी तरफ इस पहरे को धत्ता बताते हुए शहर में चोरों की सक्रियता से व्यापारी वर्ग पूरी तरह से भय एवं चिंता में डूबा हुआ है। व्यापारिक संस्थानों दुकानों व स्टोरों की सुरक्षा के प्रति पुलिस के उदासीन रवैये के चलते दुकानदारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। व्यापारियों की सुरक्षा करने में पुलिस तंत्र पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है। इसलिए सरकार को व्यापारियों की दुकानों और स्टोरों की सुरक्षा पुख्ता करने के लिए कड़े उठाने चाहिए।

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यह बात जिला भाजपा व्यापार सैल के प्रधान दर्पण गुप्ता ने आज यहां जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि लॉक डाउन के चलते लगाए गए करफ्यू के कारण सभी लोग सरकार को सहयोग करते हुए घरों में बैठे हैं और ऐसे में उनकी जान-माल की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की बनती है। परन्तु सरकार का पुलिस तंत्र करफ्यू दौरान बाहर निकलने वाले लोगों को तो डंडे व कानून की भाषा से समझाकर अपने फर्ज की इतिश्री कर रहा है परन्तु शहर में सरेआम घूमकर चोरियों को अंजाम देने वाले अपराधियों पर नकेल डालने के लिए इसके पास कोई योजना नहीं है। जिसका खामियाजा दुकानदारों व व्यापारी वर्ग को भुगतना पड़ रहा है।

हालात यह हैं कि शहर में सुरक्षा व्यवस्था का दीवाला निकला हुआ है और सत्ताधारी नेता एवं जिला प्रशासन आंखें मूदे लोगों की बर्बादी का तमाशा देख रहा है। करफ्यू के दौरान जिस प्रकार से रोजाना ही चोरी की 2-3 घटनाएं सामने आ रही हैं, उससे सारा व्यापारी वर्ग डर के साये में जी रहा है। इसलिए उनकी मांग है कि सभी दुकानदारों को अपनी दुकानें एवं स्टोर चैक करने की आज्ञा दी जाए ताकि वे सामान की निगरानी करके पता लगा सके कि चोरों ने और कितने दुकानदारों को नुकसान पहुंचाया है। अगर प्रशासन लोगों की जान-माल की सुरक्षा नहीं कर सकता तो जहां अधिकारियों को अपने पदों से हट जाना चाहिए वहीं सत्ताधारी नेताओं को भी सत्ता सुख त्याग देना चाहिए।

दर्पण गुप्ता ने कहा कि कोरोना से जंग जीतनी है इसलिए सभी एकजुट होकर सरकार के आदेशों का पालन कर रहे हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि सुरक्षा का जिम्मा लिए पुलिस तंत्र व जिला प्रशासन नींद से जागना जरुरी न समझे। अगर यही हालात रहे तो व्यापारी वर्ग को लॉक डाउन को तोड़ते हुए सडक़ों पर आने को मजबूर होना पड़ेगा। जिसकी सारी जिम्मेदारी पुलिस अधिकारियों और जिला प्रशासन की होगी।

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