उदारता की मूरत थे प्रणब जी, जीवन के 51 वर्ष राजनीति को किए समर्पित, 13वें राष्ट्रपति बनकर की देशसेवा

नई दिल्ली/होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: विशाल भारद्वाज/मुक्ता वालिया। 11 दिसंबर 1935 में बंगाल के मिरती में कामडा किंकर मुखर्जी व राजलक्ष्मी मुखर्जी के घर कुलीन ब्राह्म्म्ण परिवार में जन्में प्रणब मुखर्जी चाहे आज हमारे बीच नहीं रहे परंतु उनके जीवन की आदर्शमयी बाते हमारे बीच सदैव जीवित रहेंगी। पूर्व राष्ट्रपति व भारत रत्न प्रणब मुखर्जी का गत 31 अगस्त को निधन हो गया था, आज उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। राजकीय सम्मान के साथ लोधी रोड स्थित शमशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। पंचतत्व में विलीन होने से पहले पूर्व राष्ट्रपति व भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के पार्थिव शरीर को देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी, राहुल गांधी व अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उनके सरकारी आवास पर श्रद्धांजलि भेंट की थी।

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प्रणब मुखर्जी जी का बचपन से लेकर अब तक का सफर

11 दिसंबर 1935 में बंगाल के मिरती में कामडा किंकर मुखर्जी व राजलक्ष्मी मुखर्जी के घर कुलीन ब्राह्म्म्ण परिवार में प्रणब जी का जन्म हुआ था। बंगलादेश के ढाका कालेजिएट स्कूल से उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की। जिसके बाद पश्चिम बंगाल के विद्यासागर कालेज बिरहम से एल.एल.बी., एम.ए. (राजनीतिक शास्त्र व इतिहास) की शिक्षा प्राप्त की। जिसके बाद 1963 में उन्होंने विद्यानगर कालेज में बतौर राजनीतिक शास्त्र लेक्चरर के रूप में सेवाएं दी। देशर डॉक समाचारपत्र में कुछ समय पत्रकार के रूप में भी काम किया।

:कैसे शुरू हुआ प्रणब जी का राजनीतिक करियर

उनके पिता कामाडा किंकर मुखर्जी स्वतंत्र भारत के सक्रिय सदस्य थे, जिन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया। उनके घर में शुरू से ही राजनीतिक का माहौल था जिसके चलते प्रणब जी ने 1969 में उपचुनाव में वीके कृष्ण मेनन के राजनीतिक अभियान को संभाला और उसमें उनका अहम योगदान रहा। उनकी इस कार्यशैली और निष्ठा को देखकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बहुत प्रभावित हुए। जिसके बाद उन्होंने प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की और उन्हें इंडियन नेशनल कांग्रेस ज्वाइन करने के लिए कहा। इसके बाद इंदिरा गांधी की बातों से प्रभावित होकर प्रणब जी ने राजनीती में प्रवेश किया और इंदिरा गांधी ने श्री मुखर्जी को इंडियन नेशनल कांग्रेस का सदस्यता दिलाई। जिसके बाद पार्टी में कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनाते हुए जुलाई 1969 में प्रणब जी को पहली बार राज्यसभा की टिकट मिली। जिसके बाद प्रणब जी को 1975, 1981, 1993 व 1999 में फिर से राज्यसभा सदस्य चुना गया।

1973 में प्रणब जी को केन्द्रीय औद्योगिक विकास उपमंत्री, 1979 में कांग्रेस का उपनेता राज्य सभा एंड 1980 में राज्यसभानेता बने। प्रणब जी इंदिरा गांधी की अनुपस्थिति में कैबिनेट की बैठक को भी संबोधित करते थे।

इंदिरा गांधी की मौत के बाद प्रणब जी को राजीव गांधी के साथ आपसी मतभेद के चलते पार्टी से निकाल दिया गया था, जिसके बाद प्रणब जी ने 1986 में राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस नामक अपनी पार्टी का गठन किया। 1989 में इस पार्टी को दोबारा कांग्रेस पार्टी में शामिल कर लिया गया। 1998 में सोनिया गांधी का कांग्रेस प्रधान बनने पर प्रणब जी को कांग्रेस कमेटी का महासचिव नियुक्त किया गया। 2007 में मुखर्जी को राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए चुना गया था, लेकिन किन्ही कारणों के चलते उनका नाम वापिस ले लिया गया था, लेकिन एक बार फिर सोनिया गांधी नेउनका नाम राष्ट्रपति पद के लिए मनोनीत किया। जिसके बाद 25 जुलाई 2012 को उन्हें 13वां राष्ट्रपति बनाया गया तथा 2017 तक प्रणब जी राष्ट्रपति के पद पर रहे।

गौरतलब है कि श्री प्रणब मुखर्जी को भारत के दूसरे पुरस्कार पदम विभूषण फिर भारत रत्न अवार्ड से नवाजा गया।

– पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पंचतत्व में विलीन, अभिजीत ने दी मुखाग्नि

पिछले लंबे समय से प्रणब जी बीमारी से ग्रस्त थे तथा अब कोरोनाकाल में कोरोना पाजीटिव आए थे। इसी दौरान उनकी ब्रेन सर्जरी भी हुई थी। लेकिन, 31 अगस्त 2020 को इलाज दौरान उनकी मृत्यू हो गई थी। जिसके बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई थी। आज बाद दोपहर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

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