पंजाब सरकार ने मोबाइल वैनों और सरकारी अस्पतालों में कोविड की मुफ़्त वॉक-इन टेस्टिंग को दी मंज़ूरी

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। राज्य में कोविड के बढ़ रहे मामलों को रोक पाने और कोविड टेस्टिंग को उत्साहित करने के लिए पंजाब सरकार की तरफ से सरकारी अस्पतालों और मोबाइल वैनों में मुफ़्त वाक -इन टेस्टिंग और प्राईवेट डाक्टरों और अस्पतालों को 250 रुपए प्रति टैस्ट के नामात्र खर्च पर ऐसी ही टेस्टिंग करने की आज्ञा देने का फ़ैसला किया गया है। जो व्यक्ति अपना नतीजा तुरंत देखना चाहते हैं, वह रैपिड एंटीजन टेस्टिंग का चयन कर सकते हैं जबकि आरटी -पीसियार टेस्टिंग भी इसी तरह उपलब्ध होगी।
राज्य की तरफ से प्राईवेट अस्पतालों और डाक्टरों की तजऱ् पर फार्मासिस्टों /कैमिस्टों की तरफ से रैपिड एंटीजेन टेस्टिंग करने के प्रबंधों की जांच की जायेगी।
यह फ़ैसला गुरूवार को मुख्य सचिव, पंजाब श्रीमती विनी महाजन द्वारा लिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार प्राईवेट अस्पतालों और डाक्टरों को टैस्टों के लिए प्रशिक्षण और किटें मुहैया करवाएगी और यह टैस्ट बिना कोई प्रश्न पूछे या बिना पर्ची के आधार कार्ड और मोबाइल नंबर के आधार पर करने की आज्ञा दी जायेगी। उन्होंने कहा कि आर.ए.टी. टैस्ट के नतीजे 30 मिनट में उपलब्ध होने से टेस्टिंग और इलाज में विस्तार होगा और बीमारी की शुरुआत में ही पहचान की जा सकेगी।
पटियाला, बठिंडा, अमृतसर, लुधियाना, जालंधर और मोहाली जि़ले के डिप्टी कमीशनरों और सिविल सर्जनों के साथ कोविड की स्थिति का जायज़ा लेते हुये मुख्य सचिव ने कहा कि जो लोग आर.ए.टी. द्वारा पॉजिटिव पाये गए हैं या जिनमें लक्षण पाये गए हैं परन्तु रिपोर्ट नैगटिव आई है, उनकी पुुष्टी के लिए आरटी -पीसीआर टैस्ट के द्वारा दोबारा जांच की जा सकती है।
मुख्य सचिव ने डिप्टी कमीशनरों को प्राईवेट अस्पतालों और फार्मेसी /कैमिस्ट की दुकानों पर 250 रुपए प्रति टैस्ट की मामूली कीमत पर आर.ए.टी. टेस्टिंग करवाने के लिए भी कहा और इन टैस्ट के लिए सरकार की तरफ से उचित प्रशिक्षण और किटें मुहैया करवाई जाएंगी। उन्होंने आगे कहा कि प्राईवेट अस्पतालों और कैमिस्टों द्वारा एकत्रित किये गए टैस्ट के नतीजों और डेटा को अगली कार्यवाही के लिए सरकारी पोर्टल पर अपलोड किया जा सकता है। पंजाब में कोविड के मामलों और मौतों में हो रही वृद्धि को देखते एक और निर्देश देते हुये मुख्य सचिव ने हिदायत की है कि 104 हेल्पलाइन नंबर पर बैडों की उपलब्धता संबंधी जि़ला आधारित जानकारी मुहैया करवाई जाये। उन्होंने डिप्टी कमीशनरों और सिवल सर्जनों को हिदायत की कि वह अपने जिलों में आक्सीजन सिलंडर की उपयुक्त सप्लाई को यकीनी बनाएं।

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विनी महाजन ने जिलाधीशों से अपील की कि वह हॉटस्पौटस की बेहतर पहचान करने के लिए शहर-आधारित या क्षेत्र -समर्थकी सकारात्मक दरों की समीक्षा करें और इन दरों की रोज़मर्रा की निगरानी और रूझानों की हफ़्ते दर हफ़्ते निगरानी करें। उन्होंने कहा कि सभी जिलों की तरफ से महीने के लिए उचित अनुमान लगाए जाने चाहिएं। श्रीमती महाजन ने उनको इस समस्या से निपटने के लिए कार्य योजना को बेहतर ढंग से तैयार करने हेतु शहरी -ग्रामीण आंकड़े भी एकत्रित करने की भी हिदायत की। उन्होंने जि़ला अधिकारियों से अपील की कि वह निजी अस्पतालों के साथ मिल कर काम करें जिससे टेस्टिंग में उनका सहयोग लिया जा सके और जिलाधीशों को आईएमए के द्वारा इन संस्थाओं के साथ मीटिंगें करने के लिए कहा।

कोविड सम्बन्धी फैलाई जा रही अफ़वाहों और झूठी खबरों का नोटिस लेते हुये विनी महाजन ने चुने हुए लोक नुमायंदों को इस मुद्दे पर गलतफहमियां दूर करने के लिए सीधे तौर पर लोगों तक पहुँच करने के लिए अपील की। उन्होंने जागरूकता पैदा करने के लिए ग़ैर सरकारी संगठनों, धार्मिक संस्थाओं आदि को शामिल करने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि बी.डी.ओज़ को सही ढंग से जानकारी दी जाये और गाँवों के सरपंचों तक पहुँच करने के लिए कहा जाये जिससे झूठे प्रचार को रोका जा सके जिससे लोगों की जि़ंदगी को ख़तरा हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव हुस्न लाल ने सबसे अधिक प्रभावित पाँच जिलों लुधियाना, जालंधर, पटियाला, मोहाली और अमृतसर में 40 साल से अधिक उम्र वर्ग पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुये व्यापक स्तर पर नमूने और टेस्टिंग की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

लुधियाना के डी.सी. वरिन्दर कुमार ने कहा कि जि़ला शहरी इलाकों में नमूने लेने पर ध्यान केन्द्रित कर रहा है क्योंकि इन क्षेत्रों में विशेष तौर पर मध्यवर्गी वर्ग में से 85 प्रतिशत केस सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि जि़ले में व्यक्तियों के पॉजिटिव पाये जाने की दर 10 प्रतिशत से कम होने के बावजूद भी टेस्टिंग के प्रति ना-समर्थकी धारणा काफ़ी बनी हुई है। इसके साथ ही लुधियाना शहर में पॉजिटिविटी दर 5प्रतिशत और औद्योगिक इकाईयों में तकरीबन 1-2प्रतिशत रिपोर्ट की गई है। जालंधर के जिलाधीश घनश्याम ने कहा कि शहरी-देहाती पॉजिटिविटी दर 10.30 प्रतिशत से 4.04 प्रतिशत के अनुपात में है। कुछ क्षेत्रों में, हालाँकि, यह दर 30-40 प्रतिशत के रूप में ज्यादा है। जालंधर में भी मध्यम वर्ग जो टेस्टिंग के प्रति और ज्यादा जागरूक हैं, में पॉजिटिविटी दर ज्यादा पाई गई है। उन्होंने कहा कि जिले के उद्योगपतियों को मजदूरों की जांच करवाने के लिए कहा जा रहा है।

मोहाली के डिप्टी कमिश्नर गिरीश दयालन ने कहा कि कुछ निजी अस्पतालों का स्टाफ कोविड ड्यूटी से इन्कार कर रहा था। मुख्य सचिव की तरफ से मैडीकल शिक्षा विभाग को ऐसे मैडीकल पेशेवारों के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने के लिए जरूरी हिदायतें जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। गिरीश दयालन ने निजी स्वास्थ्य संस्थाओं में डॉक्टरों और नर्सों की संभावित कमी के बारे में भी चेतावनी दी और इस वायरस के दूसरे पड़ाव के मद्देनजर जरूरत अनुसार तैयारियाँ करने पर जोर दिया।

टेस्टिंग के मुद्दे पर मोहाली के जिलाधीश ने कहा कि निजी लैबों द्वारा डाटा अपलोड करने में देरी या असफलता गंभीर चिंता का कारण बन रही है और इन लैबों को आदेश दिए गए हैं कि वह ऑनलाइन टेस्टिंग पोर्टलों पर समय पर नतीजे अपलोड करना यकीनी बनाएं।

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