जिलाधीश ने देश में बच्चों की कस्टडी संबंधी पिता के अधिकार दस्तावेज को किया रिलीज

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। देश में बच्चों के हक व उनकी सुरक्षा को देश के संविधान में विशेष स्थान दिया गया है ताकि बच्चे हर पक्ष से सुरक्षित होकर समाज में एक सुरक्षित जिंदगी जी सकें। यह विचार जिलाधीश अपनीत रियात ने जिला बाल सुरक्षा यूनिट की ओर से तैयार किए गए दस्तावेज भारत देश में बच्चों की कस्टडी संबंधी पिता के अधिकार को रिलीज करते हुए रखे। उन्होंने बताया कि जन्म से पहले व जन्म के बाद मां व बच्चे के शारीरिक सांझ जुड़ी होती है।

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इस लिए मां व बच्चे का प्राकृतिक तौर पर एक दूसरे से भावनात्मक जुड़ाव होता है। फिर भी समाज में कई बार अलग परिस्थिति पैदा हो जाती है, जिनमें पिता को भी बच्चे की कस्टडी लेने का संवैधानिक अधिकार है, परंतु माननीय अदालय की ओर से पिता को ऐसा हक देने से पहले बच्चे के अधिकारों, हकों, सुरक्षा व भविष्य के बारे में विशेष तौर पर विचार किया जाता है और इसके बाद ही कोई उचित फैसला लिया जाता है।

जिलाधीश ने बताया कि जिला बाल सुरक्षा यूनिट व वन स्टाप सैंटर में ऐसे केस आम तौर पर आ जाते हैं परंतु सरल व स्थानीय भाषा में जरुरी दस्तावेज न होने के कारण इन केसों के बारे में फैसला लेते समय बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है व फैसला करने में देरी हो जाती है। उन्होंने कहा कि कार्यालय में ऐसे दस्तावेज की मौजूदगी से ऐसे मामलों में उचित फैसले लेने में मदद होती है।

इस दौरान उन्होंने जिला प्रोग्राम अधिकारी-कम-इंचार्ज जिला बाल सुरक्षा यूनिट को कहा कि वे इस दस्तावेज संबंधी अधिक से अधिक प्रचार व जागरुकता फैलाएं ताकि बच्चे की कस्टडी संबंधी पिता के अधिकार के बारे में आम लोग जागरुक हो सकें। इस मौके पर जिला प्रोग्राम अधिकारी डा. कुलदीप सिंह, बाल विकास प्रोजैक्ट अधिकारी रणजीत कौर भी मौजूद थे।

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