भाजपा-भाजयुमो: करोड़ों की संपत्ति बनाने वालों पर संकट के ‘बादल’?

द स्टैलर न्यूज़।
पंजाब में सत्ता बदलते ही जहां कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपनी पगडिय़ों, टोपियों और कुर्तों के रंग बदल दिए हैं वहीं इस बदलते परिवेश से होशियारपुर के कई नेता व कार्यकर्ता भी अछूते नहीं हैं। भाजपा और भाजयुमो के कई नेता जहां सत्ताधारी नेताओं के यहां खुले तौर पर हाजिरी लगवा चुके हैं वहीं कईयों ने गुप्त बैठकें करके अपने ऊपर नजऱ-ए-इनायत की गुहार लगा दी है।

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मगर मौजूदा सत्ताधारियों के तेवर कुछ और दिखाई दे रहे हैं। सूत्रों की माने तो पिछली सरकार के समय में तत्कालीन सत्ताधारी आकाओं की शरण में रहते हुए अपने नापाक धंधों को अंजाम दिया वहीं उनके संरक्षण में करोड़ों रुपयों की संपत्ति बनाने वाले भाजपा एवं भाजयुमो नेताओं पर शिकंजा कसे जो के लिए उनकी जांच को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा है। पता चला है कि जिनके पास कभी एक स्कूटर भी नहीं होता था उनके पास कुछ ही सालों में करोड़ों रुपये की प्रापर्टी और गाडिय़ां आदि कहां से आई इसकी जांच की मांग के लिए कुछेक सत्ताधारी नेताओं ने कमर कसनी शुरु कर दी है। जिसके परिणाम आने वाले समय में कितने दिखेंगे यह तो वक्त ही बताएगा।
सूत्रों की माने तो पिछली अकाली-भाजपा सरकार में होशियारपुर में कुछेक भाजपा एवं भाजयुमो नेता ऐसे थे जिन्होंने दिनों में करोड़ों रुपये की संपत्ति तो बनाई ही साथ ही आम जनता के साथ धक्का करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। जिसे भाजपा की हार का कारण भी माना जाता है।

अंदरखाते पता चला है कि मौजूद सत्ताधारियों के खेमे से ऐसी चर्चाओं का बाजार गर्म होने से करोड़ों के मालिकों

भाजपा एवं भाजयुमो नेताओं में खलबली मचनी शुरु हो गई है। हालांकि अभी तक इस बारे में कोई भी नेता खुलकर बोलने को तैयार नहीं है, फिर भी दबी जुबान में इसकी जांच संबंधी चल रही तैयारियों को लेकर हामी जरुर भर रहा है।

सूत्रों की माने तो पिछली सरकार के समय में कई भाजपा-भाजयुमो नेताओं ने जहां अपने-अपने आका की शहर में रहते हुए शराब से पैसे कमाए तो किसी ने ठेकेदारी में पकड़ मजबूत करते हुए छोटे-बड़े कार्यों में हिस्से रखे तो किसी ने काम करवाने और मामले निपटाने के नाम पर खूब चांदी बटौरी। और तो और कईयों ने तो आका के मना करने के बावजूद चांदी बटौरने के काम को जारी रखा और बाद में आका ने ऐसे लोगों को अपने से दूर करना शुरु कर दिया था। जिसके बारे में लगभग आज हर शहर निवासी जानता है। इन चुनावों में भी नेता जी के साथ कई ऐसे लोग थे जो पहले अधिक दिखते थे और धीरे-धीरे उन्हें पीछे रहने की हिदायत दे दी गई थी ताकि जनता में पड़े उनके दुष्प्रभाव का असर मतदान पर म पड़ सके। परन्तु इस पैंतरे के बावजूद पार्टी को जनसमर्थन नहीं मिला। हैरानी की बात यह है कि दिखावे के लिए चुनाव के बाद भी अपने आका के गुणगान करने वाले ज्यादातर नेताओं ने सत्ताधारियों के साथ संपर्क साध कर अपने गुनाह छिपाए रखने की गुहार लगा दी है, मगर जानकारी अनुसार सत्ताधारी नेताओं के आसपास रहने वाले कुछेक नेताओं ने पिछली सरकार के समय में सत्ता का दुरुपयोग करके करोड़ों कमाने वालों के चेहरे पर पड़ा नकाब हटाने की तैयारी कर ली है। जिसे लेकर उन्होंने अपने नेताओं पर दवाब बनाना शुरु कर दिया है।
राजनीतिक माहिरों की माने तो अकाली-भाजपा के शासन काल में कई भाजपा-भाजयुमो नेता ऐसे थे जिन्होंने करोड़ों कमाने के साथ-साथ प्रापर्टी पर भी हाथ साफ किया तथा आज शापिंग मॉल और कई बड़े कारोबारों में उनके हिस्से किसी से छिपे नहीं हैं जो उनकी सत्ता सुख में मिले बादाबों की तरफ इशारा करने के लिए काफी है। अब यह तो वक्त ही बताएगा कि सत्ताधारी इसकी जांच को लेकर कितनी संजीदगी दिखाते हैं, मगर फिलहाल ऐसी चर्चाओं ने आकाओं की शरण का दुरुपयोग करने वालों की नींद जरुर हराम कर दी है।

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