चुनाव वाले राज्यों की तरफ साधे केंद्रीय बजट में कृषि और रक्षा क्षेत्र नजरअंदाजः मनप्रीत बादल

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। पदम पुरुस्कारों की तरह केंद्रीय बजट को चुनाव वाले राज्यों की तरफ केंद्रित करार देते हुये पंजाब के वित्त मंत्री स. मनप्रीत सिंह बादल ने आज यहाँ भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर बरसते हुये कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से पेश किये गए केंद्रीय बजट में पूरे उत्तरी भारत को फिर नजरअंदाज़ किया गया है। उन्होंने गहरी चिंता जाहिर करते हुये कहा कि केंद्रीय बजट का सियासीकरन अब बेमिसाल स्तर पर पहुंच गया है।

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केंद्रीय बजट संबंधी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुये स. बादल ने कहा कि यह लगता है कि पद्म पुरुस्कारों, जिनका 30 प्रतिशत हिस्सा इस वर्ष चुनाव वाले पांच राज्यों को दिया गया है, की तरह ही केंद्रीय बजट भी इन ‘ए.बी.सी.’ राज्यों के वोटरों को लुभने की तरफ सेधित है।  

उन्होंने हैरानी जाहर की कि यह बजट ए (आसाम), बी (बंगाल) और सी (चेन्नई) और अन्य राज्य, जिनमें चुनाव होने वाले हैं, की तरफ केंद्रित लगता है। पंजाब के वित्त मंत्री ने पूछा कि उत्तरी भारत को क्यों दंड दिया गया है? उन्होंने साथ ही कहा कि एन.डी.ए. को ऐसे वोटर लुभावन पैंतरों का कोई लाभ नहीं होगा क्योंकि वोटर बेहद अकलमंद और बुद्धिमान हैं और वह एन.डी.ए. की चतुराईयों को भली-भांति समझते हैं। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की तरफ से चाहे राष्ट्रीय अवार्ड हों या बजट निर्धारण हो सब कुछ में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को नजरअंदाज़ करके वोट राजनीति पर जोर दिया जा रहा है।

खेती और रक्षा क्षेत्र के लिए मामूली बजट रखने का तर्क देते हुये स. मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि मौजूदा हालात को ध्यान में रखते कृषि क्षेत्र को बजट में विस्तार दिए जाने की जरूरत थी क्योंकि यह क्षेत्र पहले ही ग्रामीण विकास बजट में 34 प्रतिशत कटौती का सामना कर रहा है। रक्षा क्षेत्र के लिए बजट में एक प्रतिशत विस्तार किया गया है जबकि देश को राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

वित्त मंत्री ने कहा कि सभी उत्तरी राज्यों का ध्यान कृषि और रक्षा क्षेत्र पर केंद्रित है परन्तु एन.डी.ए. सरकार की तरफ से ‘जय जवान, जय किसान’ के नारे को लगातार नजरअंदाज़ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह बजट कृषि, बेरोजगारी, कृषि अराजकता, एम.एस.पी., राजस्व वृद्धि, मध्यम वर्ग और डिसकाम संबंधी बिल्कुल खामोश है।
उन्होंने कहा कि हालांकि इस बजट में प्राईवेट कंपनियों को बेशकीमती राष्ट्रीय संपत्तियां बेचने संबंधी जोर-शोर से बात की गई है।  

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