सरकार की तरफ से किये जा रहे प्रयासों के कारण माता-पिता का विश्वास फिर सरकारी स्कूलों में बंधा: सिंगला

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। हाल ही में हुए आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में विद्यार्थियों की हाजिरी के मामले में पंजाब देश भर में अग्रणी रहा है। सर्वेक्षण में आए नतीजों के अनुसार प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में 3 साल से 5 साल वर्ग में पंजाब में 61.6 फीसदी विद्यार्थियों की हाजिरी रिकार्ड की गई जोकि पूरे देश में सबसे अधिक थी।

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इस मौके पर स्कूल शिक्षा मंत्री श्री विजय इंदर सिंगला ने बताया कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की तरफ से लाए गए नीतिगत बदलाव के चलते राज्य में शिक्षा का नया दौर शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि प्राईमरी शिक्षा की नींव मजबूत करने के लिए पंजाब ने ही देश भर में से सबसे पहले पूर्ण तौर पर प्री-प्राईमरी कक्षाएं सरकारी स्कूलों में 14 नवंबर, 2017 को शुरू की थीं। उन्होंने कहा कि कक्षाएं शुरू करने से लेकर आज तक स्कूल शिक्षा विभाग में अध्यापकों और अन्य सम्बन्धित वर्गों के सहयोग के कारण हो रहे सार्थक बदलाव की यह एक बड़ी मिसाल है।

श्री सिंगला ने कहा कि प्री-प्राईमरी कक्षाओं का दाखिला और पढ़ाई बिल्कुल मुफ्त है जिससे वित्तीय तौर पर कमजोर माता-पिता के बच्चों को बहुत फायदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्री-प्राईमरी कक्षाओं के दाखिलों में साल दर साल लगातार विस्तार दर्ज किया जा रहा है क्योंकि अकादमिक साल 2018-19 में 2 लाख 13 हजार बच्चों ने दाखिला लिया था जो 2019-20 में बढ़ कर 2 लाख 25 हजार हो गया। उन्होंने कहा कि चालू अकादमिक साल में सरकारी स्कूलों में 3 लाख 30 हजार बच्चे प्री-प्राईमरी कक्षाओं में दाखिला ले चुके हैं जोकि अपने आप में एक रिकार्ड है।

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि दाखिला बढ़ने से पंजाब के सरकारी स्कूलों में अध्यापकों की माँग बढ़ी है जिसको देखते हुये शिक्षा विभाग की तरफ से शुरू की गई प्री-प्राईमरी कक्षाओं में पढ़ाने के लिए 8393 प्री-प्राईमरी अध्यापकों की स्थायी पदों को भरने की पंजाब सरकार ने मंजूरी दे दी है जिसकी भर्ती प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि इससे 3-6 साल के बच्चों के लिए भविष्य में और अध्यापक मिलने की आशा बंधी है और रोजगार के नये मौके भी पैदा हुए हैं।

श्री विजय इंदर सिंगला ने बताया कि लगभग 13000 सरकारी स्कूलों में प्री-प्राईमरी कमरों को माडल क्लासरूम के तौर पर स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि हरे कारपैटों और गद्दों के साथ-साथ विभिन्न तरह के खिलौनें, ई-कंटैंट के प्रयोग के लिए लगे प्रोजेक्टर या एल.ई.डीज. को देखते हुये प्री-प्राईमरी कक्षाओं में पढ़ते बच्चों के माता-पिता के चेहरे कमरों के अंदर आते ही खिल जाते हैं। उन्होंने बताया कि सीखने-सिखाने प्रक्रिया को खेल विधि के द्वारा अंजाम देने के लिए आकर्षक सामग्री बहुत ही रचनात्मक भूमिका निभा रही है और समूह स्कूलों में प्री-प्राईमरी -1 और प्री-प्राईमरी-2 की कक्षाएं सुचारू रूप से लगने लग गई हैं।

श्री सिंगला ने कहा कि इसके अलावा बच्चों के लिए समय-समय पर बाल मेले लगाए जाते हैं जिनमें छोटे बच्चों द्वारा अपने माता-पिता/सरपरस्त के सामने अध्यापकों द्वारा सिखाई गई क्रियायों का प्रदर्शन किया जाता है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट क्लासरूम बना कर प्रोजेक्टर या एल.ई.डीज. के साथ बच्चों को पढ़ाई के लिए अनुकूल माहौल देने में सरकारी स्कूल पीछे नहीं हैं और बिना फीसों से बच्चों के लिए निजी प्री-स्कूलों जैसी सुविधाओं देना शिक्षा विभाग की बड़ी प्राप्ति है।

स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोविड-19 की महामारी फैलने के कारण बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर स्कूलों को बंद करना पड़ा था परन्तु शिक्षा विभाग के अध्यापकों और अधिकारियों ने इस चुनौती का भी सामना करते हुये बच्चों तक आनलाइन माध्यमों के द्वारा पहुँच बनाई। उन्होंने कहा कि इस मुश्किलघड़ी में अध्यापकों और विद्यार्थियों के साथ-साथ शिक्षा विभाग का आम समाज के साथ नाता और भी गहरा हुआ है क्योंकि बच्चों को पढ़ाने के लिए अध्यापकों की तरफ से किये जा रहे प्रयासों को समाज के सभी वर्गों की तरफ से सराहा गया है।

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