दातारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। 90 साल पहले आज ही के दिन 23 मार्च 1931 को क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। आज शहीदी दिवस के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजली देते हुए भाजपा के जिला महामंत्री सतपाल शास्त्री, जिला उपाध्यक्ष दलजीत सिंह, जिला सचिव संजीव भारद्वाज,दीपक डोगरा ने कहा भारतवर्ष को आजाद कराने के लिए इन वीर सपूतों में हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया था, इसलिए इस दिन को शहीद दिवस कहा जाता है। उन्होंने कहा भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना हमारे देश इतिहास की बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। भारत के इन महान सपूतों को ब्रिटिश हुकूमत ने लाहौर जेल में फांसी पर लटकाया था। उन्होंने कहा कि इन स्वंतत्रता सेनानियों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। अंग्रेजों ने इन तीनों को तय तारीख से पहले ही फांसी दे दी थी। तीनों को 24 मार्च को फांसी दी जानी था। मगर देश में जनाक्रोश को देखते हुए गुप-चुप तरीके से एक दिन पहले ही फांसी पर लटका दिया गया। पूरी फांसी की प्रक्रिया को गुप्त रखा गया था।
27 सितंबर 1907 को अविभाजित पंजाब के लायलपुर (अब पाकिस्तान) में जन्मे भगत सिंह बहुत छोटी उम्र से ही आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए और उनकी लोकप्रियता से भयभीत ब्रिटिश हुक्मरान ने 23 मार्च 1931 को 23 वर्ष के भगत को फांसी पर लटका दिया। उनका अंतिम संस्कार सतलज नदी के तट पर किया गया था। उन्होंने कहा 1928 में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या करने के लिए उन्हें फांसी की सजा दी गई थी। उन्होंने गलती से उसे ब्रिटिश पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट समझ लिया था। स्कॉट ने उस लाठीचार्ज का आदेश दिया था, जिसमें लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई थी इस अवसर पर तीनों देशभक्तों को श्रद्धासुमन भेंट करते हुए उन्हें शत शत नमन किया गया।