माता सुरता देवी: यहां पहुंचते ही बादशाह अकबर को दिखाई देना हो गया था बंद, न्याय करने पर मिला था रास्ता

जम्मू/राजौरी (द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: अनिल भारद्वाज। माता सुरता देवी की जम्मू कश्मीर के अंतर्गत जिला राजौरी और उसके आसपास के क्षेत्रों में विशेष मान्यता है। माता सुरता देवी का पावन स्थान राजौरी शहर के समीप करीब 11-12 किलोमीटर दूर जम्मू-पुंछ राजमार्ग के अंतर्गत कलर गांव में स्थित है जिस स्थान पर माता जी का मंदिर स्थित है प्राचीनकाल में उस जमीन पर धान की खेती की जाती थी उसके सामने से एक नाला बहता था जो कि आज एक नदी के रूप में मंदिर के आगे से बह रहा है उस नाले को पार करके मवेशी फसलों को खाने के लिए चले जाते थे।

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सुविधाओं का आभाव, प्राचीन मंदिर माता सुरता देवी को पर्यटन स्थल में दर्ज करवाने की लोगों ने उठाई मांग

एक बार बैल फसलों को खाने के लिए नाले को पार कर आया और उसने दान की पनीरी को खराब कर दिया।खेत के मालिक को यह बात बहुत बुरी लगी और उसे बहुत गुस्सा आया उसने गुस्से में बैल की पिटाई की और एक तेजधार हथियार चला दिया जिससे उस बैल की पूंछ कट गई बैल की पूंछ से खून निकलने लगा और वह घायल बैल अपने घर की ओर भागा उस समय वहां पर एक यज्ञ चल रहा था उस जगह में भाग लेने के लिए बहुत सारे लोग एकत्रित हुए थे अभी लोग यज्ञ का प्रसाद लेने के लिए बैठे ही थे कि बैल की पूंछ हिलाने से उनके प्रसाद एवं यज्ञ सामग्री पर खून पड़ गया जिससे वह यज्ञ नष्ट हो गया यज्ञ के नष्ट होने के कारण उस व्यक्ति को बहुत दुख एवं गुस्सा हुआ उस गुस्से में उस व्यक्ति ने अपनी कन्या जिसे उसने उस बैल को चराने के लिए कहा था उसको उसी स्थान पर ले गया और चाकू से सिर कट कर शरीर से अलग कर दिया।

फिर वह व्यक्ति अपने घर की ओर जाने के लिए मुड़ा और एक चमत्कार हुआ उस कन्या का कटा हुआ सिर उस व्यक्ति के पीछे- पीछे चलने लगा जब वह व्यक्ति सामने वाली पहाड़ी पर पहुंचा तो लोगों ने देखा कि कन्या का कटा हुआ सर उसके पीछे-पीछे आ रहा है तभी एक साधु ने उसे बताया कि जिस चाकू से सिर को काटा है उसे उसके सामने ही जमीन में दबा दो चाकू को जमीन में दबाते ही सिर उसी स्थान पर स्थिर हो गया जहां पर उस व्यक्ति ने उस कन्या की बलि दी थी उस स्थान पर माता का मंदिर बना है इस मंदिर में शरीर की मूर्ति है जो 4-5 टुकड़ों में बंटा है तथा जिस स्थान पर स्थित हो गया था वहां पर भी एक मंदिर है उसमें केवल सिर की मूर्ति है जिस व्यक्ति ने कन्या की बलि दी थी वह पादा जाति का ब्राह्मण था आज भी पादा जाति के ब्राह्मण इस मंदिर का प्रसाद ग्रहण नहीं करते।

इस घटना के बाद एक मुगल बादशाह अकबर की सवारी कश्मीर के लिए जा रही थी तो वहां से चार कोस पीछे गांव चिंग्स पहुंचने पर बादशाह ने देखा कि उस स्थान से आगे कुछ दिखाई नहीं दे रहा है परंतु पीछे की ओर सब कुछ दिखाई दे रहा है बादशाह ने वहां के लोगों से पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है लोगों ने बादशाह अकबर को बताया कि जहां से आगे कलर चटियाड़ में एक कन्या की बलि दी गई है तथा स्थानीय लोगों ने विस्तार से पूरी घटना बादशाह को बताई तब बादशाह ने कहा कि इस घटना की पूरी न्याय करेगा उसी समय बादशाह को सब कुछ नजर आने लगा। दूसरे ही दिन जहां पहुंचने पर बादशाह ने न्याय किया तथा उस स्थान पर एक मंदिर की स्थापना भी की यह मंदिर आज सूरत माता मंदिर के रूप में जाना जाता है। इस प्राचीन मंदिर के रखरखाव के लिए कलर चटियाड़ के लोगों ने एक कमेटी का गठन साल 1994 में किया। इस क्षेत्र के लोगों के घर जहां भी पुत्र का जन्म होता है वह पुत्र बधाई तथा जिसके जहां भी विवाह होता है विवाह विदाई अर्पण करते हैं। बतादें कि मंदिर में चैत्र माह की नवमी तिथि को महा यज्ञ का आयोजन किया जाता है जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु लोग भाग लेते हैं। कहते हैं जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से माताजी के दरबार में आशीर्वाद लेने पहुंचता है उसकी मनोकामना मातारानी अवश्य पूर्ण करती है।

प्राचीन माता मंदिर में सुविधाओं का अभाव होने के कारण श्रद्धालुओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन मंदिर की देखरेख के लिए कोई उचित कदम नहीं उठाया रहा है बल्कि मंदिर के समीप बहती नदी में भू-माफिया के चलते दिन-ब-दिन नदी सुकड़ती जा रही है । प्रशासन व संबंधित विभाग गैरकानूनी ढंग से रेत बजरी, पत्थर निकालने वाले लोगों पर उचित कार्रवाई नहीं करते हुए बल्कि उन्हें बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है बता दें कि इस मंदिर के मात्र सो डेढ़ सौ मीटर दूरी पर पुलिस की पोस्ट भी स्थित है लेकिन पुलिस भी गैर कानूनी कार्य करने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं करती है। लोगों ने इस मंदिर को पर्यटन स्थल में दर्ज करवाने की मांग की है। और जिला आयुक्त से प्राचीन मंदिर के विकास की मांग रखी है।

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