गौशालाओं का निजीकरण कैप्टन सरकार की धटिया मानसिकता का परिचायक: अश्वनी गैंद

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। अकाली भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई 20 के करीब सरकारी गऊशालाएं (कैटल पाउंड) को प्राईवेट कम्पनी को देकर अपनी वैल्फेयर नीति से भाग रही है पंजाब सरकार। एक तरफ तो सरकार लोगों की भलाई के लिए किऐ कार्यों की उपलब्धियां गिना रही है और दूसरी तरफ गऊशालाओं जैसे धार्मिक व संस्कृति से जुड़े पहलुओं पर पल्ला छुड़ा रही है।

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यह बात लावारिस गौधन की सेवा सम्भाल में लगी संस्था नई सोच वैल्फेयर सोसायटी के संस्थापक अध्यक्ष अश्वनी गैंद ने एक बैठक के दौरान कही और पंजाब सरकार से सवाल किया कि प्राईवेट हाथों में देने का कारण क्या है? क्योंकि सरकारी गऊशालाएं बनाने का कारण ही यह था कि प्राईवेट गऊशाला वाले लावारिस गौधन को सम्भालने में आना कानी करते थे। ऐसा करने से दोबारा वही समस्या शुरु होगी। प्राईवेट पार्टी हमेशा अपना फायदा देखेगी और लावारिस गौधन को सम्भालने पर उसे कोई फायदा होने वाला नहीं है। दूसरी तरफ सरकार के पास 136 करोड़ के लगभग गौसैस पड़ा हुआ है।

सरकार द्वारा 4 साल में गौसैस इक_ा किया गया व कहीं खर्चा नहीं गया। श्री गैंद ने पंजाब सकरार से अपील की कि लावारिस गौधन की देखभाल के लिए उचित कदम उठाएं नही तो गऊभक्तों को लेकर पंजाब भर में संघर्ष किया जाऐगा। क्योंकि लावारिस गौधन के साथ देशवासियों की आस्था जुड़ी हुई है। श्री गैंद ने कहा कि सरकार दोधारी तलवार की तरह काम कर रही है। अगर गौधन के कारण कोई दुर्धटना होती है तो कैटलपाउंड बनाऐ गये हैं तो दूसरी तरफ कैटल पाउंड प्राईवेट कम्पनी को दे रही है। इस अवसर पर सुखवीर सिंह, राजेश शर्मा, नीरज गैंद, हरजीत सिंह, अमन सेठी, अवतार सिंह, मनोज कुमार, सुरजीत सिंह, हरजीत सिंह बस्सी मरुफ आदि उपस्थित थे।

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