होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। योग साधन आश्रम मॉडल टाउन में सभी सरकारी निर्देशों का पालन करते हुए रामनवमी महोत्सव को लघु स्तर पर मनाया जा रहा है। इसके दृष्टिगत श्री योग दिव्य रामायण के पाठ को आरंभ किया गया। हवन यज्ञ के बाद भक्तों का मार्गदर्शन करते हुए आचार्य चंद्र मोहन अरोड़ा ने कहा कि द्वापर युग के बाद आज 5122 वर्ष बीत चुके हैं तथा अब कलयुग का समय चल रहा है। इस काल में बढ़ते पाप को देख कर योगेश्वर प्रभु राम लाल जी का अवतार हुआ। आज हम उनका 133 वां जन्मोत्सव मना रहे हैं। प्रभु जी ने हमें संपूर्ण योग दिया है। जिससे शरीर, मन ,बुद्धि व आत्मा का विकास होता है। गीता के छठे अध्याय में भगवान का आदेश है कि जीव अपनी आत्मा का उद्धार करें। इसका पतन ना होने दें। आत्मा के उद्धार का मतलब है कि इसे मोक्ष तक लेकर जाए। आत्मा को मोक्ष तक की इस यात्रा में शरीर ,मन व बुद्धि सहायक मिले हैं। शरीर तो वास्तव में आत्मा की यात्रा का वाहन है, यदि गाड़ी के पुर्जे ढीले हो तो यात्रा सुगम नहीं होती। इसी प्रकार यदि शरीर में भयानक बीमारियां लग जाए तो सारी उम्र हम शरीर के रोगों का ही उपचार करते रहते हैं। योग के साधनों का निरंतर अभ्यास करके शरीर को आयु पर्यंत निरोग रख सकते हैं।
योग आश्रम में इन साधनों को प्रतिदिन निशुल्क सिखाया जाता है,आत्मा के आध्यात्मिक विकास में उसका मन तथा बुद्धि सहायक होते हैं। शरीर के साथ इंद्रियां जुड़ी हुई है और मन उन इंद्रियों की लगाम है, यदि लगाम ढीली हो जाए तो इंद्रियां बिगड़े घोड़े की तरह जीवन को अस्त-व्यस्त कर देती हैं । यदि मन कमजोर पड़ जाए तो इस में बुरे विषय तथा अधर्म का मार्ग घर कर लेता है। जिससे इसे काम क्रोध मोह लोभ तथा अहंकार जैसे शत्रु घेर लेते हैं। इस मन को निरंतर यम नियमों पर चलकर सशक्त करना है। यह ज्ञान मन को बुद्धि देती है। बुद्धि में भ्रांतियां तथा अंधविश्वास इत्यादि से वह कमजोर पड़ जाती है तथा मन को नियंत्रित नहीं कर पाती। इसमें ज्ञान हेतु ऋषि कृत ग्रंथों का स्वाध्याय निरंतर करना चाहिए। बुद्धि ज्ञान युक्त हो ,मन धर्मानुसार कार्य करें तो इंद्रियां काबू में रहती है और जीव अपनी आत्मा का उद्धार निश्चय ही कर लेता है।