चित्त को एकाग्र करना ही योग: चड्ढा

दातारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर दातारपुर में योग का महत्व बताते हुए सेवानिवृत्त सुपरिटेंडिंग इंजीनियर अविंदर सिंह चड्ढा तथा प्रिंसिपल मनजीत कौर ने कहा कि योग का अर्थ है जोड़ना यानि जीवात्मा का परमात्मा से मिल जाना, पूरी तरह से एक हो जाना ही योग है।उन्होंने कहा योगाचार्य महर्षि पतंजली ने सम्पूर्ण योग के रहस्य को अपने योगदर्शन में सूत्रों के रूप में प्रस्तुत किया है। उनके अनुसार, “चित्त को एक जगह स्थापित करना योग है।उन्होंने कहा हमारे ऋषि मुनियों ने योग के द्वारा शरीर मन और प्राण की शुद्धि तथा परमात्मा की प्राप्ति के लिए आठ प्रकार के साधन बताए हैं, जिसे अष्टांग योग कहते हैं..यम,नियम,आसन,प्राणायाम,प्रात्याहार,धारणा,ध्यान,समाधि।

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उन्होंने कहा योग के कुछ ऐसे आसन और प्राणायाम भी हैं, जिसे आप घर पर बैठकर आसानी से कर सकते हैं और अपने जीवन को निरोगी बना सकते हैं। उपाध्याय के अनुसार आसान से तात्पर्य शरीर की वह स्थिति है जिसमें आप अपने शरीर और मन को शांत स्थिर और सुख से रख सकें। स्थिरसुखमासनम्: सुखपूर्वक बिना कष्ट के एक ही स्थिति में अधिक से अधिक समय तक बैठने की क्षमता को आसन कहते हैं।उन्होंने कहा योग शास्त्रों के परम्परानुसार चौरासी लाख आसन हैं और ये सभी जीव जंतुओं के नाम पर आधारित हैं। इन आसनों के बारे में कोई नहीं जानता इसलिए चौरासी दल को ही प्रमुख माना गया है. और वर्तमान में बत्तीस आसन ही प्रसिद्ध हैं। आसनों का अभ्यास शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वास्थ्य लाभ व उपचार के लिए किया जाता है।

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