होशियारपुर 23 जुलाई: योग साधन आश्रम में चल रहे गुरु पूजा पर्व के तीसरे दिन भक्तों का मार्गदर्शन करते हुए आचार्य चंद्रमोहन अरोड़ा ने कहा कि जीव के शाश्वत दुख का कारण अपने आतम रूप को भूल कर अपने शरीर तथा विषयों से आसक्ति है| हम विषयों की गुलामी करते हैं तथा नश्वर शरीर की इच्छा पूर्ति हेतु विषयों से अस्थाई सुख ढूंढते रहते हैं | संसार के सकल पदार्थों एवं जीवो से भले ही आरंभ में सुख मिलता है | परंतु इन सभी के साथ दुख जुड़ा हुआ है | जो शिष्य सतगुरु से प्यार करते हैं तथा गुरु के चरणों में जीवन को सुखी बनाने आते हैं | सद्गुरु उन्हें अपने ज्ञान द्वारा स्थाई आनंद का रास्ता बताते हैं और जीव को संसार के विषय भोगों के दलदल से जहां केवल दुख ही दुख है निकालने हेतु वैराग्य का ज्ञान देते हैं | वे उन्हें समझाते हैं कि संसार में केवल उतनी वस्तुएं एकत्रित करो जितनी जीवन यापन के लिए आवश्यक है | विषयों से वैराग्य के साथ गुरु शिष्य को प्रभु से अनुराग करने की भी शिक्षा देते हैं |
यह एक ऐसा रास्ता है जहां केवल आत्मा का आनंद ही आनंद है | इस रास्ते पर केवल प्रभु से प्रीत है और दुख का नाम निशान नहीं है | सद्गुरु शिष्य को दुख के समय सहन करने की शक्ति देते हैं| उसे पाप कर्मों से बचाते हैं | सद्गुरु शिष्य के भाग्य को भी बदल देते हैं | सद्गुरु का किया ईश्वर भी नहीं बदलता | जीवन को आनंदमय बनाने के लिए तथा दुखों से छूटने हेतु हमें सद्गुरु की शरण में रहना चाहिए | इस अवसर पर रिचा ने गुरुवार चरणों में दे दो ठिकाना मुझे भजन गाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया | हवन के बाद आरती पूजा कर प्रसाद वितरित किया गया|