कृषि विभाग ने पराली प्रबंधन के लिए कृषि मशीनरी के प्रयोग सम्बन्धी वैबिनार करवाया

चंडीगढ़(द स्टैलर न्यूज़): पराली के प्रबंधन के लिए कृषि मशीनरी को अधिक से अधिक प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य के कृषि विभाग ने सहकारी सभाएं, पंजाब के सहयोग से वैबिनार-कम-प्रशिक्षण सैशन करवाया, जिसमें सहकारी सभाएं, कृषि विभाग के लगभग 1500 कर्मचारियों के अलावा मशीन ऑपरेटरों ने ऑनलाइन और पी.ए.यू. के यू-ट्यूब चैनल के द्वारा हिस्सा लिया।  वैबिनार का उद्घाटन करते हुए डायरैक्टर कृषि सुखदेव सिंह सिद्धू ने बताया कि सहकारी सभाएं, जोकि मशीनरी का प्रयोग बढ़ाने में योगदान देंगी और पहले ही पराली जलाने के मामलों को घटाने के लिए प्रयास कर रही हैं, को सुविधाएं प्रदान करने में पहल दी जाएगी। सिद्धू ने कहा कि अतिरिक्त मुख्य सचिव (विकास) अनिरुद्ध तिवारी के निर्देशों और कृषि कमिश्नर डॉ. बलविन्दर सिंह सिद्धू के नेतृत्व अधीन आज का वैबिनार आयोजित किया गया। उन्होंने बताया कि सहकारी सभाओं के सचिवों के अलावा, मशीन ऑपरेटरों और सहकारी एवं कृषि विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों ने इस समागम में हिस्सा लिया। विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 250 करोड़ रुपए की सब्सिडी के साथ किसानों को धान के अवशेष के स्थायी प्रबंधन के लिए 25000 से अधिक कृषि-मशीनें/कृषि उपकरण मुहैया करवाने के लिए पहले ही एक बड़ी मुहिम शुरू की है।

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उन्होंने कहा कि स्कीम के अधीन किसानों को 50 से 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी की पेशकश की गई है, जिसमें सहकारी सभाएं और किसान समूहों को 80 प्रतिशत सब्सिडी जबकि व्यक्ति विशेष के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। पहले पड़ाव के अंतर्गत विभाग ने धान की कटाई के सीजन के बाद पराली जलाने के मामलों की रोकथाम को सुनिश्चित बनाने के लिए 2000 कृषि मशीनों/उपकरणों की खरीद के लिए सहकारी सभाओं और पंचायतों के आवेदनों को मंज़ूरी दे दी है।  दूसरे पड़ाव में, बेलजऱ् के लिए सहकारी सभाओं और पंचायतों से आवेदन मंज़ूर किए जाएंगे और पटियाला, संगरूर, बरनाला, बठिंडा, फिऱोज़पुर, श्री मुक्तसर साहिब, फिऱोज़पुर, तरन तारन, मोगा और मानसा के हॉटस्पॉट जिलों (जहाँ पराली जलाने की घटनाएँ अधिक हैं) के अधीन आने वाले बायोमास उद्योग वाले जिलों को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि किसानों को अपेक्षित मशीनरी सप्लाई करने के लिए विभाग ने धान की कटाई के सीजन से पहले इन उपकरणों के वितरण के काम को मुकम्मल करने की पूरी तैयारी कर ली है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने किसानों को अत्याधुनिक मशीनें देने पर ध्यान केन्द्रित किया है, जिनमें सुपर एस.एम.एस, हैपी सीडर, पैडी स्ट्रॉ चॉपर/शैडर/मलचर, हाइड्रोलिक रिवरसीबल मोल्ड बोर्ड हल और ज़ीरो ड्रिल शामिल हैं।

पराली के उचित प्रबंधन के लिए साल 2018-2019, 2019-20 और 2020-21 के दौरान राज्य में किसानों और कस्टम हायरिंग सैंटरों को बेलजऱ् समेत 76,622 विशेष उपकरण/मशीनें 50 से 80 प्रतिशत सब्सिडी पर प्रदान की गई हैं। वैबिनार के दौरान वक्ताओं ने किसानों से अपील की कि वह पराली जलाने की प्रथा को ख़त्म करने के लिए सब्सिडी वाली कृषि मशीनरी का अधिक से अधिक प्रयोग करें, जिससे लोगों के स्वास्थ्य और स्वच्छता को सुनिश्चित बनाया जा सके और साथ ही राज्य का वातावरण भी सुरक्षित रहे। अंतरराष्ट्रीय संगठन बी.आई.एस.ए, लुधियाना के वैज्ञानिक डॉ. हरमिन्दर सिंह सिद्धू ने हैप्पी सीडर के द्वारा गेहूँ की बिजाई को पराली प्रबंधन का स्थायी हल बताया और साथ ही भरोसा दिलाया कि हैप्पी सीडर मशीन को चलाने के लिए तकनीकी जानकारी समय पर उपलब्ध होगी। टाटा-टीएनसी ट्रस्ट द्वारा बलजिन्दर सैनी, लवलीन कौर बैंस, प्रमुख एक्स्टेंशन सैल, गुरू नानक नेशनल कॉलेज दोराहा, चन्द्रकांत प्रधान, सीआईआई और हरमिन्दर सिद्धू प्रधान गदरी बाबा दुल्ला सिंह निहाल सिंह फाऊंडेशन जलालदीवाल रायकोट और अन्य मशहूर शख्सियतों ने धान की पराली को जलाने से रोकने के लिए उनकी संस्थाओं द्वारा किए जा रहे यत्नों को साझा किया और भरोसा दिया कि सहकारी सभाओं को हर संभव सहयोग दिया जाएगा।

डायरैक्टर एक्स्टेंशन एजूकेशन, पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना के डॉ. जसकरन सिंह माहल और शक्ति मशीनरी विभाग, पीएयू के प्रमुख इंजीनियर महेश नारंग, फ़सल कृषि विज्ञान और प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. एस.एस. मनहास ने सहकारी सभाओं के वैबिनार में हिस्सा लेने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान किया।  इस मौके पर मनमोहन कालिया, नोडल अफ़सर सीआरएम-ज्वांइट डायरैक्टर कृषि (इंजी.), बलजिन्दर बाजवा, ज्वाइंट सचिव सहकारी सभा, डॉ. राजबीर सिंह बराड़ अटारी, (आईसीएआर) भी उपस्थित थे। वैबिनार पीएयू के लाइव यूट्यूब चैनल पर भी प्रसारित किया गया, जिसको लगभग 250 लोगों ने देखा और अपने विचार साझा किए।

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