होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज) विशेष रिपोर्ट राकेश भार्गव: वैसे तो हर पूर्णिमा का हिंदू धर्म में वहुत महत्व है, लेकिन शरद पूर्णिमा का महत्व कुछ विशेष ही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं।द स्टैलर न्यूज से वात करते हुए पंडित गिरीश कौशल शास्त्री ने वताया कि शरद पूर्णिमा 19 अक्टूबर (मंगलवार) को है। पूर्णिमा का व्रत 20 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस व्रत को आश्विन पूर्णिमा व्रत के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसे अमृत काल भी कहा जाता है। इस लिए ही गौ माता के दूध में खीर वना कर चंद्रमा की किरनों के सामने रखने का विधान है।
इस अमृत रूपी खीर को प्रसाद के रूप में व्रत वाले दिन सारे परिवार में वांट कर लिया जाता है। माता लक्ष्मी जी समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन प्रकट हुई थीं। पुराणों के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के साथ गरूड़ पर बैठकर पृथ्वी लोक में भ्रमण के लिए आती हैं। मां लक्ष्मी की कृपा से लोगों को कर्ज से मुक्ति तो मिलती ही है,धन धान्य के साथ संतान प्राप्ति भी होती है।यही कारण है कि इसे कर्ज मुक्ति पूर्णिमा भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन पूरी प्रकृति मां लक्ष्मी का स्वागत करती है।इस रात को देखने के लिए समस्त देवतागण भी स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं।इस दिन मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।