चार साहिबजादों के बलिदान दिवस को हर वर्ष ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने का फैसला सराहनीय : उमेश शारदा

कपूरथला (द स्टैलर न्यूज) रिपोर्ट: गौरव मढिय़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब चार साहिबजादों के बलिदान के दिन को हर वर्ष ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की तो भाजपा नेता खुशी का इजहार करने लगे। पंजाब भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य उमेश शारदा ने प्रधानमंत्री की तरफ से दशमेश पिता के प्रकाश पर्व मौके पर चार साहिबज़ादे जी की शहादत को समर्पित बाल दिवस के तौर पर हर साल मनाने के ऐलान का ज़ोरदार शब्दों में स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस फ़ैसले का जितना भी स्वागत किया जाए कम है। उमेश शारदा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के सिखों के साथ विशेष लगाव को समुदाय और पवित्र गुरुओं के प्रति उनके व्यक्तिगत श्रद्धाभाव के साथ-साथ सिख समुदाय को सशक्त बनाने के लिए किए गए उनकी सरकार के कार्यों में देखा जा सकता है। उमेश शारदा ने कहा कि जब देश के इतिहास की बात होती है तो सिखों का इतिहास उससे अलग नहीं हो सकता। स्कूलों में बच्चों को गुरु पुत्रों बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के बलिदान के बारे में बताया जाना चाहिए। सही मायनों में ‘वीर बाल दिवस’ बच्चों के लिए बाल दिवस के रूप में होना चाहिए। इससे बच्चों को प्रेरणा मिलेगी। जब हम सिख इतिहास को पढ़ते हैं तो जिस कालखंड में विदेशी आक्रमणकारियों ने देश पर हमला किया तब खालसा पंथ देश की रक्षा के लिए खड़ा हुआ था। खालसा पंथ की स्थापना ने यह स्पष्ट संदेश दिया था कि वह धर्म और भारत को बचाने के लिए ही है। गुरु तेग बहादुर ने भी कश्मीर और दिल्ली में हिंदुओं को बचाने के लिए अपना बलिदान दिया था। गुरु पुत्रों की शहादत आने वाली पीढिय़ों के लिए एक मिसाल है।

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उन्होंने कहा कि भारत, भारतीयता, हिंदू धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए गुरु गोविंद सिंह जी के चार-चार पुत्रों ने अपने आपको बलिदान कर दिया। उमेश शारदा ने कहा कि सिख धर्म ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए बहुत बलिदान दिए हैं, जिसमें 26 दिसंबर को गुरु गोविंद सिंह के बेटे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को भी अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी।

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