29वें विराट हरिनाम संकीर्तन व श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन राजा परीक्षित का प्रसंग सुनाया

मुकेरियां (द स्टैलर न्यूज़)। महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में गांव पवारा के शिव मंदिर में करवाया जा रहा 29वां विराट हरिनाम संकीर्तन व श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास प्रियंका बाबा जी महाराज पठानकोट ने राजा परीक्षित को श्राप लगने का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि राजा परीक्षित की मृत्यु सातवें दिन सर्प दंश से होनी थी, जिस व्यक्ति को यहां पता चल जाए कि उसकी मृत्यु सातवें दिन होगी, वह क्या करेगा, क्या सोचेगा। राजा परीक्षित यह जानकर अपना महल छोड़ दिए।

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महाराज ने बताया कि श्रीकृष्ण की ओर से राजा परीक्षित को दिए गए श्राप से मुक्ति के लिए उन्हें शुकदेव मुनि जी से मिलने की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि भागवत कथा का श्रवण आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाता है। शुकदेव मुनि ने राजा परीक्षित से कहा कि सबको सात दिन में ही मरना है। इस सृष्टि में आठवां दिन तो अलग से बना नहीं है। संसार में जितने भी प्राणी हैं। सभी परिचित हैं सबकी मृत्यु एक न एक दिन तो होनी है और जो मनुष्य एक बार श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कर ले और उसे सुनकर जीवन में उतार ले तो उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। उसे भगवान की प्राप्ति हो जाती है। ज्ञान के बिना जीवन में अंधेरा है और आचरण के बिना जीवन की पवित्रता नहीं है। चेतना के विकास के लिए ज्ञान के साथ-साथ अच्छा आचरण होना जरूरी है। महाराज ने बताया कि साधक को कभी भी अपने बर्तन में जूठा नहीं छोडऩा चाहिए। जूठा छोडऩा एक अभिशाप है। अंत में आरती व संगीत के साथ उपस्थित संगत ने भजन का आनंद लिया। इस समय नंबरदार विशाल पुरिया, नंदलाल, अशोक, राज कुमार, विक्रम सिंह, बलविन्द्र सिंह व अन्य उपस्थित थे।

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