होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। आज शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो जो 50 की उम्र तक पहुंच चुका हो और उसे कभी जोड़ों का दर्द न हुआ हो। बहुत से ऐसे मरीज हैं जो जोड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए जोड़ बदलवाने का रास्ता चुनते हैं ताकि दर्द से निजात पाई जा सके लेकिन खुद अपने शरीर का ध्यान रख कर और अपने दिमाग की बजाय शरीर की सुन कर इससे बचा जा सकता है। इसके लिए जरूरत है अपने वजन, खान-पान, शारीरिक लक्षणों पर ध्यान देने की और शरीर से बेजा काम लेने से बचने की।क्रिश्चियन मेडिकल कालेज लुधियाना के प्रोफेसर ऑफ ऑर्थोपीडिक्स डा. बॉबी जॉन ने आज यहां सामाजिक उत्थान के लिए कार्यरत संस्था सवेरा की ओर से डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में आयोजित एक चर्चा को संबधित करते हुए उक्त बात कही। उन्होंने कहा कि शरीर स्वयं किसी भी समस्या के लक्षणों क दर्द के रूप में जाहिर करता है लिहाजा दर्द हम सब का दोस्त है। यह हमें बताता है कि हमें किस काम को किस हद तक करना है। उनका कहना था कि शरीर से जबरदस्ती काम लेने में कोई समझदारी नहीं। जहां आपको दर्द महसूस हो रूक जाएं।
डा. जॉन का कहना था कि अपनी जीवनचर्या व खान-पान में बदलाव करके हम समस्या से बच सकते हैं व बहुत हद कर जोड़ों के दर्द को नियंत्रित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पुरातन जीवन शैली, योग, व्यायाम करने के साथ-साथ कम कार्बहाइड्रेट और कम वसा वाला लेकिन उच्च प्रोटीनयुक्त भेजन करके, शरीर को जरूरत से ज्यादा थकाने की बजाय समय-समय पर आराम करके, मालिश करके शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। इसके साथ-साथ हाइड्रेशन भी बहुत जरूरी है लिहाजा दिन में 7-8 गिलास पानी अवश्य पिएं। महात्मा बुद्ध का जिक्र करते हुए डा. जॉन ने कहा कि छह सर्व श्रेष्ठ चिकित्सक हैं धूप, पानी, आराम, हवा, व्यायाम और भोजन। इनकी मदद से हम निरोग जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि 50 से 60 फीसदी लोगों में जोड़ों के दर्द का कारण अनुवांशिक होता है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हम यह मान कर बैठ जाएं कि हमारे माता-पिता या किसी बुजुर्ग को जोड़ों का दर्द था, हमें भी होना ही है। जरूरी यह है कि अपने शरीर का ध्यान रखें और सिर्फ काम के चक्कर में शरीर की आवाज यानि लक्षणों तथा दर्द को नजरअंदाज न करें। उन्होंने कहा कि अधिकतर मामलों में जोड़ बदलने जैसे कि घुटने या कूल्हे के जोड़ बदलने को टाला जा सकता है लेकिन जहां जरूरी हो वहां इन्हें बदलना भी पड़ता है जिससे कि मरीज अपनी सामान्य जिंदगी बेहतर तरीके से जी सके और दर्द से निजात पा सके।
उन्होंने कहा कि सामान्यतया दोनों जोड़ एक साथ बदलने से बचा जाना चाहिए हालांकि कम उम्र मरीजों के मामले में ऐसी किया जा सकता है। उन्होंने जोड़ों के दर्द से बचाव के लिए उपयोगी टिप्स दिए। डीएवीसीएमसी के अध्यक्ष व प्रमुख यूरोलॉजिस्ट डा. अनूप कुमार ने डा. बॉबी जॉन का स्वागत किया और विषय से संबंधित जानकारी सांझा की। उन्होंने कहा कि डा. जॉन जैसे लोग समाज की सच्ची सेवा कर रहे हैं जो अनुकरणीय है। सवेरा के संयोजक डा. अजय बग्गा ने डा. बॉबी जॉन का परिचय कराते हुए उनकी ओर से चिकित्सा के क्षेत्र में दिए जा रहे योगदान की सराहना था। उन्होंने 1985 में स्थापित संस्था सवेरा के समाजोपयोगी कार्यों के बारे में जानकारी भी दी और कहा कि संस्था की र से हर तीन माह में ऐसी स्वास्थ्य संबंधी विशेषज्ञ चर्चा का आयोजन किया जाएगा। इससे पहले सुखविंदर ढिल्लों प्रिं. कुमकुम सूद ने पुष्पगुच्छ भेंट कर डा. जॉन का स्वागत किया। अंत में डा. सरदूल सिंह, हरीश सैनी व वरूण शर्मा ने उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। मंच संचालन उर्दू शायर नजर होशियारपुरी ने किया जबकि अंत में सवेरा के अध्यक्ष डा. अवनीश ओहरी ने सभी का धन्यवाद किया।