होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। देश की रक्षा के बाद वातावरण संभाल का रक्षक बन कर उभरे होशियारपुर जिले के किसान ने जय जवान, जय किसान के नारे को सार्थक बना दिया है। 16 वर्ष सेना में सेवा निभाने के बाद सेवा मुक्त हुए गांव पुराना भंगाला के श्री बलकार सिंह ने जब देखा कि वातावरण अशुद्ध होने के कारण मनुष्य के साथ-साथ पशु पक्षियों व जीव जंतुओं का सांस लेना मुश्किल हो गया है, ताकि इस किसान ने वातावरण की संभाल की बीढ़ा उठाते हुए पुरातन कृषि तरीका बदलकर आधुनिक कृषि का रास्ता अपना लिया है।
डिप्टी कमिश्नर श्री संदीप हंस ने प्रगतिशील किसान की प्रशंसा करते हुए कहा कि वातावरण की संभाल के लिए आगे आए ऐसे किसानों व जिला प्रशासन को गर्व है व बाकी किसानों के लिए भी आधुनिक कृषि को अपनाना समय की मुख्य जरुरत है। उन्होंने कहा कि गेहूं के नाड़ को आग लगाए बिना अन्य फसलों की सीधी बिजाई कर वातावरण को दूषित होने से बचाया जा सकता है। इससे जहां धुएं के कारण होने वाली बीमारियों से बचाव होता है, वहीं कृषि खर्चे कम होने के साथ-साथ जमीन की सेहत भी ठीक रहती है। इसके अलावा धान की सीधी बिजाई के कारण पानी की बचत भी होती है।
डिप्टी कमिश्नर की ओर से वातावरण की रक्षा के लिए आगे आए किसानों की प्रशंसा
संदीप हंस ने अपील करते हुए कहा कि किसानों को फसली चक्र में से निकल कर वैकल्पिक कृषि की ओर भी रुझान पैदा करना चाहिए ताकि कृषि लाभप्रद धंधा साबित हो सके। उन्होंने बताया कि धान की सीधी बिजाई के लिए अपनाई जाने वाली आधुनिक तकनीकों वाली मशीने कृषि विभाग के पास उपलब्ध है। इसके अलावा स्वयं सहायता ग्रुपों व किसानों से किराए पर प्राप्त किया जा सकता है व इस संबंधी अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।
प्रगतिशील किसान श्री बलकार सिंह ने बताया कि 16 वर्ष सेना में सेवाएं निभाने के बाद जब वे 2011 में सेवा मुक्त होकर गांव वापिस आए तो सब से पहले टायर स्पेयर पार्टस का स्टोर शुरु किया। इसके बाद आस-पास देखर कर मन चिंतित हुआ कि फसलों के अवशेषों को आग लगने से जहां मनुष्य के साथ-साथ पक्षियों व जीव-जंतुओं का सांस लेना मुश्किल है, वहीं आग से जब वनस्पति जलती है तो पक्षियों के छोटे-छोटे घोंसले भी जल जाते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा देखर वातावरण की संभाल करने का मन बनाया व कृषि विभाग के अधिकारी के साथ तालमेल कर पानी, हवा, जीव-जंतुओं की सुरक्षा के लिए आधुनिक कृषि अपना ने का प्रण किया। देश की सेवा करने वाली श्री बलकार सिंह ने बताया कि उसने अपनी 5 एकड़ जमीन में 2016 से गेहूं की नाड़ व धान की पराली को आग नहीं लगाई बल्कि कृषि की समूचे अवशेषों को जमीन में ही प्रबंधन किया जाता है। उन्होंने बताया कि गेहूं के नाड़ को आग लगाए बिना धान की सीधी बिजाई की कामयाब खेती करने से जहां पानी की बचत होती है, वहीं खेती खर्चे भी कम होते हैं।