डीएसपी (जेल) का पुलिस द्वारा उत्पीड़न: एनसीएससी ने 23 मई को पुलिस के डीजीपी व डीजीपी जेल को दिल्ली बुलाया

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को पंजाब पुलिस के डीएसपी (जेल) अमर सिंह द्वारा पंजाब पुलिस, जिला संगरूर, के खिलाफ अपने और अपने परिवार के उत्पीड़न के संबंध में दी गई शिकायत का कड़ा संज्ञान लेते हुए, एनसीएससी के चेयरमैन विजय सांपला ने पंजाब पुलिस के डीजीपी और डीजीपी (जेल) के साथ 23 मई को नई दिल्ली में एनसीएससी के राष्ट्रीय मुख्यालय में हीयरिंग  इन पर्सन / व्यक्तिगत  सुनवाई करने का निर्णय लिया है। एनसीएससी ने पंजाब पुलिस को सुनवाई की तारीख से पहले ताजा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी दिया।

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एनसीएससी के अध्यक्ष विजय सांपला को लिखित शिकायत दर्ज करते हुए, डीएसपी (जेल) अमर सिंह ने कहा, “मैं एससी श्रेणी से संबंधित हूं और मैं पंजाब के शहीद भगत सिंह नगर का निवासी हूं। जब मैं अपनी ड्यूटी कर रहा था, तब डीआईजी सुरिंदर सिंह सैनी और एडीजीपी पीके सिन्हा ने मेरे खिलाफ दो झूठी प्राथमिकी दर्ज की थी और मेरी पदोन्नति को रोकने के लिए कई आरोप लगाए थे। मैंने इस मामले को एनसीएससी (चंडीगढ़ कार्यालय) के समक्ष भी उठाया था, जिन्होंने निदेशक ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन, पंजाब को मामले की निष्पक्ष जांच करने और रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था, पर अभी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।” “इस बीच, संगरूर पुलिस नियमित रूप से मेरे आवास पर छापा मार रही है और मेरे परिवार के सदस्यों को परेशान कर धमकी भी दे रही है। इसी साल 5 मई को पंजाब पुलिस के एक एस.एच.ओ ने बिना संबंधित मजिस्ट्रेट की अनुमति के मेरे घर पर छापा मारा और मेरी पत्नी और भाई के साथ बदसलूकी की | पुलिस ने उन्हे झूठे केस में फंसाने की भी धमकी दी। इतना ही नहीं, पुलिस अधिकारियों ने फिर मेरे परिवार के सदस्यों से तीन मोबाइल फोन छीन लिए और भाग गए”, डीएसपी अमर ने आगे कहा।

एनसीएससी के रुल्स ऑफ प्रोसीजर के सेक्शन (7) को लागू करते हुए, पंजाब पुलिस को सूचित किया कि अमर सिंह, डीएसपी, जेल, पर शहर संगरूर के थाने में दर्ज एफआईआर संख्या 5/21 और 35/22 का मामला  आयोग के पास विचाराधीन है, इसलिए इस केस में यथास्थिति बनाए रखी जाए। एनसीएससी ने पंजाब पुलिस को चेतावनी दी है कि याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ पंजाब पुलिस कोई कारवाई नहीं करेगी और अगर उन्होंने ऐसी गलती की तो आयोग प्रीवेन्शन ऑफ अट्रासिटी ऐक्ट 1989 के तहत दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करेगा। एनसीएससी ने दोनों अधिकारियों को संबंधित फाइलों, केस डायरी आदि सहित सभी प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ एक अप-टू-डेट कार्रवाई रिपोर्ट लाने के लिए भी कहा है।

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