पुस्तक में प्रकाशित शब्दों के लिए माफी मांगे संत रामपाल:अश्विनी गैंद

nai soch-नई सोच संस्था ने खोला संंत रामपाल के खिलाफ मोर्चा-भगवान श्री कृष्ण के बारे में अपशब्द प्रकाशित करने का किया विरोध-माफी न मांगने पर कानूनी कार्रवाई की दी चेतावनी-
होशियारपुर। हरियाणा के बरवाला क्षेत्र के संंत रामपाल की मुश्किलें कम होने के स्थान पर बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। राष्ट्रद्रोह जैसे मामलों का सामना कर रहे संंत रामपाल व उनके समर्थकों द्वारा बरवाला की घटना की सच्चाई नामक जो पुस्तक प्रकाशित करके जनता मेें बांटी जा रही है उस पर तुरंंत रोक लगाने की मांग उठ गई है। क्योंकि पुस्तक के भीतर भगवान श्री कृष्ण के बारे में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया है जिससेे उनके उपासकों की आस्था को ठेस पहुंंच रही है। इसके साथ ही पुस्तक में प्रकाशित इन शब्दों के लिए संंत रामपाल से माफी मांगने की मांग उठने लगी है। इतना ही नहीं जिस संस्था ने रामपाल के खिलाफ मोर्चा खोला है उनका कहना है कि अगर रामपाल ने माफी न मांगी और पुस्तकों के वितरण पर रोक न लगाई तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से भी परहेज नहीं किया जाएगा। इस संबंधी जानकारी देते हुए संंत रामपाल के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली संंस्था नई सोच के संस्थापक अध्यक्ष अश्विनी गैंद ने कहा कि संत रामपाल के संमर्थक अपने सत्गुरु के लिए कोई भी संघर्ष करें उन्हें उससे आपत्ति नहीं है, मगर जो पुस्तक लोगों को घटना की सच्चाई बताने के लिए बांटी जा रही है उसे लेकर उनकी संस्था में रोष है। क्योंकि पुस्तक में ऐसी बातें लिखी गई हैं जिनका कोई सिर पैर ही नहीं है और न ही उन राजनीतिज्ञों (कांग्रेसी व भाजपाई) के नाम प्रकाशित हैं जिन्होंने ऐसी वार्तालाप की हो जिसका वृतांत पुस्तक में दिया गया है। परन्तु पुस्तक में भगवान श्री कृष्ण जी के बारे में गल्त शब्दों का प्रयोग करके पुस्तक प्रकाशित करने वाले और लेखक दोनों ने ही धर्म विरोधी होने का सबूत दिया है और इसकी सारी जिम्मेदारी संंत रामपाल की बनती है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे बिना जांचे परखे पुस्तक में लिखी बातों पर यकीन न करें और पुस्तक को पढऩे से परहेज करें। यहां तक कि पुस्तक में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के बारे में भी गल्त लिखा गया है। जिससे पता चलता है कि संत रामपाल खुद ही विवादों में घिरा रहना चाहते हैं। नई सोच संस्था की तरफ से अध्यक्ष अश्विनी गैंद ने संत रामपाल को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उन्होंने जल्द ही पुस्तक के वितरण व प्रकाशित शब्दों के लिए जनता से माफी न मांगी तो संस्था कानूनी सलाह लेकर संंत रामपाल, पुुस्तक केे लेखक व प्रकाशक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी।

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