अमृतसर(द स्टैलर न्यूज़)। पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि देखने में तो यह लगा कि पंजाब पुलिस ने अमृतपाल के आंदोलन के आगे आत्मसमर्पण किया है। वैसे यह सरकारी आत्मसमर्पण है। अफसोस है कि मुंबई में बैठ कर श्री मान यह कह रहे हैं कि पंजाब में कानून नियंत्रण में है। कानून तो है ही नहीं, नियंत्रण किसका करेंगे? घावों पर नमक छिडक़ते हुए कैबिनेट मंत्री धालीवाल कह रहे हैं कि कोई कानून को भंग नहीं कर सकेगा, हाथ लगाने नहीं देंगे। हाथ तो आपने पुलिस के पहले ही बांध लिए और सिर्फ टीवी पर बयान देकर अपनी नाक बचाने की व्यर्थ कोशिश कर रहे हो। रही सही कसर अमन अरोड़ा ने निकाल दी। जब यह कहा कि जो कुछ भी हुआ है वह बेअदबी न हो, इसलिए पुलिस ने किया। सबसे बुरी हालत तो उस दिन अमृतसर के पुलिस कमिश्नर और एसएसपी देहाती की थी जो बेचारे अमृतपाल के हथियारों वाले आंदोलन के कारण बंधक बना लिए गए थे। जो घोषणा कमिश्नर अमृतसर से करवाई वह स्वयं मंत्री आकर करते तो अच्छा रहता। मंत्री जी तो घायल पुलिस वालों को दूरदर्शनी सैल्यूट कर रहे हैं।
अमृतसर आकर उनके सिर पर हाथ नहीं रखा। यहां तक कि डीजीपी पंजाब भी अमृतपाल के चुनौतियों का जवाब नहीं दे पाए। मैं डीजीपी को याद करवाना चाहती हूं जब एक ज्ञानी ने करवाचौथ का व्रत रखने वाली महिलाओं का उनकी आस्थाओं का अपमान किया था तब तो वे धर्म के नाम पर किसी की आस्था की रक्षा करने नहीं आए, लेकिन ताकत वाले की साठ बीसी सौ से डरे और आज उत्तर दीजिए कि खिलौना पिस्तौलों या बंदूकें लहराने वाले बच्चों पर केस बनाने वाले अजनाला में सैकड़ों हथियारों के लहराने पर कलम चलाने का साहस क्यों नहीं कर पाए। सरकार ने एक रास्ता बता दिया है जो हथियारों सहित भीड़ लेकर और किसी भी धर्म ग्रंथ की ओट लेकर आएगा वह जो चाहे लूटकर ले जाएगा।