होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। टीबी अस्पताल होशियारपुर में वल्र्ड टी.बी डे मनाया गया। इस मौके पर टी.बी बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक किया गया। इस मौके पर जिला तपेदिक अधिकारी होशियारपुर डा. शक्ति शर्मा ने बताया कि टीबी की बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होती है। इसे क्षयरोग भी कहा जाता है। भारत में हर साल लाखों लोगों को टीबी हो जाती है। टी.बी एक सक्रांमक बीमारी है, लेकिन लाईलाज नहीं है। उन्होंने बताया कि 24 मार्च को डॉ. रॉबर्ट कोचने इस जीवाणु की खोज की थी। इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए इस साल भी 24 मार्च को चुना है। विश्व तापेदिक दिवस को लेकर हर साल एक थीम निर्धारित की जाती है। साल 2023 की थीम है- यस! वी कैन एंड टीबी! इसका मतलब है कि हां हम टी.बी खत्म कर सकते हैं। टी.बी की बीमारी अभी भी दुनिया के कई हिस्सों में मौजूद है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि अभी भी दुनिया का एक तिहाई हिस्सा टी.बी की बीमारी से पीडि़त है। डब्लयुएचओ ने 2030 तक इस घातक बीमारी को खत्म करने का संकल्प लिया है, लेकिन भारत ने इस बीमारी को 2025 तक खत्म करने का प्रण लिया है। दुनियां में हर रोज 4 हजार लोगों की इस भयानक बीमारी से जान चली जाती है। कोई भी टी.बी वाला मरीज जब खांसी करता है तो उसके द्वारा छोड़ी गई सांस से हवा में टी.बी के वैक्टीरिया फैल जाते है। ज्यादातर लोगों को फेफड़ों की टी.बी होती है। टी.बी होने पर अकसर कुछ लक्षण नजर आते हैं जैसे कि दो हफ्तों से लगातार खांसी का आना, भूख कम लगनी, भार का कम हो जाना, शाम के समय बुखार का आना, बलगम के साथ खून का आना आदि होते है।