अमृतसर(द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के मुख्यमंत्री, डीजीपी और गृह सचिव यह बताएं कि ट्रैफिक नियमों का पालन न करने वालों पर इतना भारी आर्थिक दंड लगाकर क्या आप भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं दे रहे। होना तो यह चाहिए कि जो समाज के प्रमुख लोग, जनप्रतिनिधि तथा अधिकारी हैं वे स्वयं सभी नियमों का पालन करें और उसके बाद तो आम जनता अधिक से अधिक पालन ट्रैफिक नियमों का करेगी। हाल की हालत यह है कि वीआईपी तो हर नियम तोड़ते हैं। उनको चौक में खड़ा ट्रैफिक कर्मचारी सैल्यूट भी करता है, पर आम आदमी पकड़े जाते हैं। वैसे आज की हालत यह है कि ट्रैफिक नियमों का पालन न करने वाले किसी एक व्यक्ति को तो पकड़ लिया जाता है, पर उसका चालान करने में ही शेष सैकड़ों लोग उसी चौराहे में सभी नियमों को तोड़ते हुए निकल जाते हैं। सरकार याद रखे कि जितना ज्यादा जुर्माना बढ़ाएंगे, उतना ज्यादा भ्रष्टाचार बढ़ेगा, क्योंकि दस पांच हजार रुपया जुर्माना भरना आम आदमी के वश का नहीं। दो हजार और एक हजार भी स्कूटर, स्कूटी आदि चलाने वालों की जेब में नहीं होता।
जो कार चलाते हैं उसमें भी ड्राइवर, कर्मचारी और टैक्सी चलाने वाले थोड़ी बहुत रिश्वत देकर ही चालान से बचने की कोशिश करेंगे। ट्रैफिक नियमों का पालन होना चाहिए। इसमें कोई दो मत नहीं, पर एक तो जुर्माना मौके पर लिया जाए और इतना भारी बोझ न हो जुर्माने का कि लोग जुर्माना देने से लोग ज्यादा रिश्वत देना सही समझें। जहां वीआईपी लोग अपने संपर्कों का फायदा उठाकर पुलिस वाले की कान से फोन लगाकर चालान से बच जाते हैं। वहां वे लोग कोई राहत नहीं दे पाते, जिनका कोई सरकारी राजनीतिक संपर्क नहीं। इसलिए अच्छा है पहले तो स्कूल-कालेजों से ही शिक्षा के साथ ट्रैफिक नियम सिखाए जाएं। सबसे ज्यादा कंट्रोल तथाकथित बड़े आदमियों पर कसा जाए और आम जनता पर जुर्माने का बोझ थोड़ा डाला जाए। सरकार विचार करे।