किसी की मर्जी के खिलाफ, किसी के जिस्म को छूना, छेडऩा, नोचना और भोगना और अपने ज़ोर के दम पर कमज़ोर पे काबू पा लेना, बस क्या! ज़ोरावर मर्द अक्सर शिकारी कहलाएं। होशियारी से बच निकले कुछ पकड़े जाएँ कुछ सज़ा भी पा जाएँ, सही है! महिला बेचारी महिला मासूम महिला अबला महिला शोषित है, यही क्या! जिस्म की कमज़ोरी देखी सबने हाय-तौबा-आंसू देखे लेकिन जो दिल से कमज़ोर, उनका क्या ! सज-गज के आए, सिंदूर चढ़ाए, फिर कुबूल है…
कोई सात कोई चार ले, फेरे नहीं जैसे घेरे में ले, आगे क्या ! आँखों में काजल की धार, मुँह में क़ानून की कटार, अब बोलके दिखा …..
डटे रहे…. दो चार माह तबियत से निचोड़ा, पूड़े मलाई खाई, लगे रहे दिन रात मज़े लूटे जमके भुख मिटाई। डकार आती इससे पहले खड़े हो गए, ये भागे देखो वो दौड़े…अरे कहां, अब किसके साथ। अब किसकी इज़्ज़त पे भारी, कौन नया बकरा अबकी चूज़ा कौन के चूं नहीं करेगा मिस्टर ये लीगल था…..
महिला बेचारी महिला मासूम महिला अबला महिला ही शोषित है, सच क्या ! क्या बलात्कार, और बलात्कारी कौन ??
संक्षेप में: मर्द को तो कर्मों की सज़ा मीले, पर औरत, जो दिमागी खेल खेले, शादी के नाम पे तन मन धन की भूख मिटा के कुछ हफ़्ते में पर्रे। यानी नौ 2 ग्याराह। उसे सज़ा क्यों नहीं उसे क्यों मेंटेनेंस? उससे क्यों हमदर्दी !
बौबी कमल अत्तोवाल, जिला होशियारपुर
मोबाइल नं 9988081808