मुख्यमंत्री द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए मनरेगा स्कीम की अधिक से अधिक उपयोग करने की वकालत

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने तथा रोजग़ार के मौके मुहैया करने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजग़ार गारंटी एक्ट (मनरेगा) स्कीम के अधिक से अधिक प्रयोग करने की वकालत की है। यहां इस स्कीम के कामकाज की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह स्कीम महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्कीम प्रत्येक वित्तीय साल में हर उस घर को कम से-कम 100 दिनों का गारंटीशुदा रोजग़ार देकर रोज़ी-रोटी की सुरक्षा में विस्तार करती है, जिनके बालिग़ सदस्य ग़ैर-हुनरमंद काम करने के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि यह स्कीम अप्रैल 2008 से राज्यभर के सभी जिलों में लागू है और राज्य सरकार इस अहम योजना के बजट को दो हज़ार करोड़ रुपए तक बढ़ाएगी। भगवंत मान ने कहा कि यह जानकर खुशी हुई कि सूबे में 14.86 लाख सक्रिय कामगारों के साथ 11.53 लाख सक्रिय जॉब कार्ड हैं।
मुख्यमंत्री ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि सूबे के लिए मनरेगा के अंतर्गत अधिसूचित मज़दूरी दर 303 रुपए पड़ोसी सूबे हरियाणा के मुकाबले कम है, जहाँ यह 357 रुपए है और सूबा सरकार इस मुद्दे को केंद्र सरकार के पास प्रभावशाली ढंग से उठाएगी। उनहोंने यह भी कहा कि सूबा सरकार सिंचाई, जल स्पलाई और सेनिटेशन के साथ संबंधित  कामों में तेज़ी लाने के लिए,  भूमिगत पाईप लाईन बिछाने के कामों को प्रवानित सूची में शामिल करने के लिए भी ठोस प्रयास करेगी। भगवंत मान ने यह भी कहा कि सूबा सरकार, भारत सरकार को इस स्कीम के अंतर्गत कोरपस फंड मुहैया करवाने के लिए भी अपील करेगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सूबा सरकार, भारत सरकार की तरफ से दिए जाते डेली वेजिज के बजट में भी विस्तार करने की मांग करेगी क्योंकि सूबे के लिए सिर्फ़ 250 लाख दिहाडिय़ां देने का लक्ष्य रखा गया है, जोकि पिछले साल की 321 लाख दिहाडिय़ों की अपेक्षा बहुत कम है। उन्होंने आम आदमी को लाभ देने के लिए इस स्कीम को और प्रभावशाली बनाने की ज़रूरत पर भी बल दिया। भगवंत मान ने यह भी कहा कि स्कीम के अंतर्गत हर काम वाली जगह पर सूचना बोर्ड लगाया जाये जिससे आम लोगों में इस स्कीम संबंधी जागरूकता पैदा की जा सके और किये गए कामों का विवरण लोगों तक पहुँच सके।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को फेसबुक्क पेज, यूट्यूब चैनल, टविट्टर और वटसऐप ग्रुपों जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के द्वारा इस स्कीम को लोक प्रिय बनाने के लिए भी कहा जिससे स्कीम के बढिय़ा पहलुओं  का प्रचार व ग्रामीण लोगों तक अपेक्षित जानकारी का प्रसार हो सके। भगवंत मान ने उम्मीद व्यक्त की कि यह स्कीम ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यो को बढ़ावा देने के साथ-साथ कमज़ोर एवं पिछड़े वर्गों के जीवन को बदलने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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