दलबदलूओं की पौंबारहां, पार्टी चाहे कोई भी हो, इस संदेश को रट्ट लो, नहीं तो दरियां उठाओ और कुर्सियां लगाओ, पपोस्टर चिपकाओ। अपने अनुशासन, संगठनात्मक ढांचे और जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं का दम भरने वाली भाजपा इन दिनों सवालों के घेरे में है। पंजाब के हालात तो सभी के सामने हैं और कार्यकर्ताओं को दरकिनार करके जिस प्रकार से पार्टी ने हाल ही में कांग्रेस से आए एक दिग्गज नेता को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी है, उससे पार्टी के भीतर बड़े नेताओं एवं उनके समर्थकों में अंतरद्वंद छिड़ गया है। पार्टी इस फैसले का जहां कई नेता एवं कार्यकर्ता स्वागत कर रहे हैं तो कईयों ने अंदरखाते विरोध जताकर इस पर फिर से विचार करने की बात भी कह डाली है। खबर ये भी आ रही है कि इसी के चलते अबोहर से पूर्व विधायक व भाजपा नेता अरुण नारंग ने अपने सभी पदों से त्यागपत्र दे दिया है तथा उनका कहना है कि वह एक कार्यकर्ता की तरह पार्टी कार्य करते रहेंगे।
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होशियारपुर की बात करें तो पहले से ही 3 गुटों में बंटी भाजपा में एक और गुट तैयार होने की कगार पर है तथा सुनील जाखड़ के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही कांग्रेस से पूर्व मंत्री रहे सुन्दर शाम अरोड़ा, जो भाजपा में शामिल हो चुके हैं के निवास स्थान पर ढोल की थाप पर बधाई के लड्डू खाने वालों का तांता लग गया। एेसा भी कहा जा सकता है कि लड्डू खाने के लिए फोन करके कार्यकर्ताओं को जुटाना पड़ा। कुछेक करीबी तो सूचना मिलने मात्र से ही पहुंचगए और कुछेक जो एक खास खेमें से तालुक्क रखते हैं को बुलवाया गया।
प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होने या किसी अन्य बड़ी उपलब्धि पर यूं तो भाजपा के पुराने तथा वरिष्ठ नेता तथा जिला भाजपा द्वारा तुरंत ही खुशी मनाए जाने का ढिंढोरा पीट दिया जाता है। लेकिन जाखड़ को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की की खुशी न तो भाजपा के किसी वरिष्ठ नेता द्वारा मनाए जाने का समाचार सामने आया और न ही जिला भाजपा के किसी पदाधिकारी ने कोई कार्यक्रम किया। यहां तक कि अकसर सुर्खियों में रहने वाले कुछेक भाजपा नेताओं ने एक प्रैसनोट तक भी जारी नहीं किया। जिससे साफ है कि अधिकतर नेता व कार्यकर्ता फिलहाल पार्टी के फैसले को स्वीकार करने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं।
खुशी में बजे ढोल ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार एक बार फिर से गर्म कर दिया है कि पहले आम आदमी पार्टी में कांग्रेस से आए नेताओं की तूती बोलती है तो अब भाजपा में बोलेगी। क्योंकि, अंदरखाते सभी एक हैं और राजनीतिक के उस वाक्य का भरपूर लाभ ले रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि राजनीति में न तो कोई किसी का स्थायी दुश्मन है और न ही दोस्त। किसी भी समय परिस्थितयां बदल सकती हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर पार्टी से जुड़े कार्यकर्ताओं का क्या, जिन्होंने पार्टी को खड़ा करने और पार्टी की मजबूती के लिए दिन रात एक किया होता है।
चर्चा तो यहां तक है कि पूर्व मंत्री अरोड़ा, कैप्टन अमरिंदर सिंह व सुनील जाखड़ ग्रुप के हैं और आने वाले चुनावों में उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। अगर एेसा होता है तो फिर भाजपा के टकसाली और वरिष्ठ नेताओं का क्या होगा ? यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इस समय खुशी के ढोल की थाप से कईयों के कान सूज़ जरुर गए होंगे। अब दें आज्ञा। जय राम जी की।