श्रीवृंदावन धाम के लिए ट्रेनः श्रेय लेने की होड़, दो करके बोल रहे तो तीसरा तूं कौन मैं खाहमखाह

एक समय की बात है जब होशियारपुर से दिल्ली के लिए रेल चली तो रेल चलाने का श्रेय लेने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं में होड़ लग गई थी। एक ने कहा यह उनका प्रयास है तो दूसरे ने कहा उनकी सरकार है तो यह उनकी उपलब्धि है। उस समय विपक्ष में थे भाजपा के राज्यसभा सांसद अविनाश राय खन्ना और सत्ता पक्ष में थीं कांग्रेस की सांसद संतोष चौधरी। खैर वे तो गुजरे जमाने की बात हो गई।

Advertisements

लालाजी स्टैलर की राजनीतिक चुटकी

लेकिन अब मौका है श्री वृंदावन धाम के लिए 26 अगस्त 2023 से शुरु होने जा रहे रेल सुविधा को शुरु करवाने का क्रेडिट लेने की। अब इस सुविधा को शुरु करवाने के लिए भाजपा के एक पूर्व सांसद एवं मौजूदा सांसद तो इसका श्रेय लेने के लिए पीठ थपथपाएं, लेकिन एक भाजपा नेता इसे भी अपनी झोली में डालने से पीछे नहीं हटा। हालांकि सभी जानते हैं कि सरकार व पार्टी में ऊंची पदवियों पर रहने के बावजूद उसने होशियारपुर का कुछ नहीं संवारा और न ही कोई बड़ा प्रोजैक्ट लाने में कामयाब रहा। लेकिन इतना जरुर है कि वह नेता मौके पर चौका मारना नहीं छोड़ता तथा इससे पहले कि मौके के नेता श्रेय लें उससे पहले ही जनता में खुद को साबित करके बड़ी कामयाबी का राग अलापने का गुर जो उसमें है उसकी मिसाल कहीं नहीं मिलती।

खैर उस नेता की बात करके हमने क्या लेना, जनता को तो इस बात की खुशी है कि अब बिहारी जी के दर्शनों के लिए ट्रेन बदलने का झंझट नहीं रहेगा। ज्ञात रहे कि 2014 में विजय सांपला के लोकसभा सीट होशियारपुर से सांसद बनने के बाद से ही उनसे मांग की जाती रही है कि दिल्ली वाली ट्रेन को श्री वृंदावन तक करवाया जाए तथा जनता की मांग को उन्होंने सरकार के समक्ष बाखूबी रखा और अब सांसद न होते हुए भी वह इसके लिए प्रयासरत रहे। दूसरी तरफ मौके के सांसद जोकि केन्द्र सरकार में राज्य मंत्री भी हैं के द्वारा भी जनता की मांग को उठाया गया। भले ही दोनों के ग्रुप इसे अपने-अपने आका की जीत बता रहे हों, लेकिन जनता जानती है कि होशियारपुर के लिए मात्र पत्र लिखने वाले से बेहतर कौन से नेता हैं और सोम प्रकाश या विजय सांपला द्वारा किए प्रयास भी उसके सामने हैं यानि जनता के सामने हैं।

राजनीतिक माहिरों की माने तो इस समय जबिक 2024 के चुनाव सिर पर हैं तो इस उपलब्धि का श्रेय लेने के लिए दोनों नेताओं को गुटबाजी छोड़ एकजुटता का सटीक उदाहरण पेश करते हुए जनता के बीच जाना चाहिए  ताकि 2024 में उम्मीदवार कोई भी हो, इस मुद्दे पर जनता को प्रभावित कर सके, जिसका सीधा फायदा जीत के रुप में पार्टी को होगा। वैसे एक बात है ऊंचे कद का नेता होना भी लाभकारी और गुणकारी है। करो कुछ भी न, लेकिन किसी उपलब्धि की  जरा सी भनक लगते ही मंत्रियों से मिलों, फोटो खिंचवाओ और भेज दो मीडियो को, जनता तो भोली है वो तो यही समझेगी कि यह सब नेता ने करवाया है। अब मुझे दें इजाजत। जय राम जी की।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here