नियम हिमाचल का और ठेका खोल दिया पंजाब में, चौहाल में पर्दे में खुला ठेका भी आया सड़क पर, धार्मिक भावनाओं का भी नहीं ख्याल

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), समीर सैनी। सरकार ईमानदारी के जितने भी दावे क्यों न करती हो, लेकिन सरकारी तंत्र में कुछ एसे विभाग भी हैं, जिन्हें सरकार की छवि व साख से कोई लेना देना नहीं है। अगर उन्हें सरकार की परवाह होती तो शायद कार्य नियमानुसार होते, लेकिन विभाग के अधिकारियों की आंखों पर न जाने किस चीज़ के चश्में चढ़े हैं कि उन्हें सरेआम उड़ रहीं नियमों की धज्जियां दिखाई नहीं दे रहीं। हम बात कर रहे हैं, नियमों के विपरीत खुले शराब के ठेकों की। बार-बार विभाग के ध्यान में लाए जाने के बावजूद भी कार्यवाही न होना कथित तौर पर मिलीभगत की तरफ तो इशारा करता ही है साथ ही अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सेदेह पैदा होता है। यह बात हम पहले भी बता चुके हैं कि सरकार को शराब के कारोबार से अधिकतम रेवेन्यू प्राप्त होता है, लेकिन क्या इसके लिए सरकारी नियमों को ताक पर रखना जरुरी है। हमारी टीम द्वारा नैशनल हाई-वे पर खुले ठेकों संबंधी जानकारी विभाग के ध्यान में लाई गई थी। पहले  विभाग के अधिकारियों ने इस पर कार्यवाही का आश्वनस दिया, लेकिन कुछ समय बाद ही अधिकारियों के तेवर बदले-बदले से नज़र आए।

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कार्यवाही के स्थान पर उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ना शुरु कर दिया कि हिमाचल सीमा पर खुला ठेका जायज है, क्योंकि हाईवे पर जहां पहाड़ी क्षेत्र है वहां पर 200 मीटर से अधिकर दूर की शर्त खत्म हो जाती है। जबकि विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि यह शर्त सिर्फ हिमाचल प्रदेश के लिए लागू होती है, पंजाब में नहीं। अब सारा मामला साफ हो जाता है कि सारा खेल किस प्रकार मिलीभगत से खेला जा रहा है। मिलीभगत इसलिए कह रहे हैं कि अगर यह होती तो अब तक कार्यवाही हो गई होती। इतना ही नहीं धार्मिक स्थान के समीप की बात कही गई थी तो वहां पर अधिकारियों ने पूरा माप लेते हुए इस उचित दूरी पर स्थापित किया गया ठेका बताया था। इतना ही नहीं आजकल माता चिंतपूर्णी के मेले चले हुए हैं और श्रावण नवरात्रों की धूम हर तरफ है।

इस दौरान कुछ धार्मिक एवं राजनीतिक संस्थाओं ने मांग की थी कि जितने दिन मेला चलेगा उतने दिन भरवाई रोड पर स्थित शराब के ठेके व अहाते बंद रखे जाएं। लेकिन विभाग ने जनता की भावनाओं का सम्मान तो क्या करना था, रिलायंस इंडस्ट्री के समीप जो ठेका थोड़ा पर्दे में था उसे भी सड़क पर खोल दिया गया है। और तो और आदमवाल नगर के समीप ठेके के साथ ही श्रद्धालुओं ने लंगर लगाया हुआ है और वहां भी स्थित ठेका खोल कर रखा गया है। इस बारे में न तो प्रशासन ने कोई कदम उठाया और न ही संबंधित विभाग ने इस पर कोई कार्यवाही करनी जरुरी समझी। आलम यह है कि कुल मिलाकर कहा जाए तो जिस प्रकार रेत का खेल व्यवस्था फेल वाली कहावत रेत माफिया पर चरितार्थ होती है उसी प्रकार अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत यहां पर चरितार्थ होती दिखाई दे रही है। अब देखना यह होगा कि संबंधित विभाग के अधिकारी इस पर क्या एक्शन लेते हैं या फिर ढाक के तीन पात वाली कहावत यहां लागू होतू दिखाई देगी। वैसे एक बात है यह सारा खेल मंत्री के गृह जिले व हलके में खेला जा रहा है तथा एसा प्रतीत हो रहा है कि जैसे विभाग ने मंत्री को भी अंधेरे में ही रखा हो।

इस बारे में ईटीओ परमजीत सिंह से बात करने पर उन्होंने कहा कि इस संबंधी जांच करवाकर कार्यवाही की जाएगी। लेकिन अधिकारी द्वारा बार-बार एक ही रटा रटाया जवाब दिए जाने के बावजूद कार्यवाही का न होना कथित मिलीभगत की तरफ इशारा करने के लिए काफी है। अब एेसा क्यों हो रहा है इस बारे में या तो संबंधित अधिकारी बता सकते हैं या फिर इनके आला अधिकारी, लेकिन इस बारे में अगर इनके आला अधिकारी से भी बात की जाए तो पहले तो वह बात को ध्यान से सुनते जरुर हैं मगर बाद में कार्यवाही के नाम पर उनके पास भी दिलासा ही है, लेकिन ग्राउंड पर नतीजा जीरु ही है।

इस बारे में कैबिनेट मंत्री ब्रम शंकर जिम्पा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार की साख पर कोई आंच नहीं आने दी जाएगी तथा वह अधिकारियों से इस बाबत रिपोर्ट तलब करके बनती कार्यवाही करवाएंगे।

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